मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

अम्बाला जिला के गांव पतरेहड़ी के दलित समुदाय के लोग लगातार पांच दिन से सी एम सीटी करनाल के कर्ण पार्क में धरना प्रर्दषन कर रहे हैं।







अम्बाला जिला के गांव पतरेहड़ी के दलित समुदाय के लोग लगातार पांच दिन से सी एम सीटी करनाल के कर्ण पार्क में धरना प्रर्दषन कर रहे हैं। दिनाकं 24 अप्रेल को हजारों की संख्या में आंदोलनकारी दलितों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल का घेराव करने की कोषिष की, लेकिन पुलिस ने दलितों की इस कोषिष को नाकाम कर दिया । बाद दोपहर दलित समुदाय का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से मिला लेकिन इस मुलाकात से कोई सकारात्मक ह लना निकल सका । वार्ता असफल होने के बाद दलितों का धरना यथास्थान है । 
आंदोलनकारी दलितों का कहना है कि अंबाला पुलिस एक दलित संगठन से जुड़े युवाओं को गलत तरिके से हत्या के मामले से फंसा रही है । गोरतलब है कि 12 मार्च की रात को जब दलित समुदाय के लोग होली त्योहार के अवसर पर सत्संग का आयोजन कर रहे थे तो राजपुत जाति के कुछ दबंगों ने सत्संग में खलल डालने की कोषिष की । जब वहां मौजूद दलित समुदाय के लोगों ने इसका विरोध किया तो राजपुतों ने उनकी जमकर पिटाई । पुलिस मौका पर पहुंच गई लेकिन पुलिस ने किसी भी दोशी को गिरफ्तार नहीं किया । जिससे दबंग राजपुतों का हौसला बढा व उन्होने बड़ी संख्या में आकर दोबारा फिर दलित समुदाय के लोगों पर हमला किया । इस घटना में कई दलितों को गंभीर चोटें आई । इस हमले में हमलावर राजपुतों को भी चोटें आई । राजपुत जाति का एक व्यक्ति जो कि इस घटना में घायल हुआ था, घाव में संक्रमण के कारण मर गया । 
इसकी मृत्यु के बाद अंबाला पुलिस ने 60-70 दलितों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया जो पहले 323/324 आईपीसी के तहत किया था । राजपुतों के खिलाफ भी इन्ही धाराओं सहित अनुसूचित जाति जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम में मुकदमा दर्जा कर लिया । क्योंकि पुलिस ने 70-80 अज्ञात दलितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था इसलिए दलित युवकों की अनाप-सनाप गिरफ्तार करना षुरू कर दिया । अभी तक पुलिस दस से ज्यादा युवकों को जेल में डाल चुकी है । इलाके के नामी दलित संगठन अम्बेडकर युवा मंच के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने अपने निषाने पर ले लिया । पुलिस के डर से दलित कार्यकर्ता व नेता घर बार छोड़ने को मजबूर है ।   दलित नेता डाक्टर बलबीर सिहं ने कहा कि क्षेत्र में दलित समुदाय पर लगातार हमले हो रहे हैं । हमलावर खुलेआम घूम रहे हैं । 
पतरेहड़ी गांव का दलित उत्पीड़न कांड जिला पुलिस के टालमटोल भरे रवैये का परिणाम है। यदि हमलावर राजपुतों को पहली घटना होते ही पकड लिया जाता तो मामला गंभीर न बनता । दलित समुदाय के लोगों ने किसी की हत्या करने के इरादे से हमला नहीं किया था बल्कि उन्होने तो एक तेजधार हथियारों से लैष हमलावर भीड़ से अपनी जान बचाने का उपाय किया था । आत्मरक्षा के उपाय में एक हमलावर को चोट लग गई और वह भी चोटें लगने के तुरन्त बाद नही बल्कि उसकी मृत्यु कई दिन बाद पीजीआई चंडीगढ़ में उपचार के दौरान हुई । उसकी पोस्ट मार्टम रिर्पोट से भी यह साफ हो जाता है जिसमें मृत्यु का कारण घाव में संक्रमण दर्षाया गया है, चोट की गंभीरता नहीं । एक महत्वपुर्ण बात और यह कि इस घटना के बाद अंबाला पुलिस ने आईपीसी की सामान्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था । यह भी इस तथ्य की तरफ इषारा करता है कि इस घटना में आई चोटों की प्रकृति साधारण थी इसलिए पुलिस के पास गंभीर धाराओं में केस दर्ज करने का कोई आधार न था । नही तो पुलिस षुरू में ही 307 , नही तो कम से कम 326 आईपीसी में मुकदमा दर्ज कर सकती थी । 
फिलहाल दलित समुदाय के लोग कर्ण पार्क करनाल में धरना पर बैठे हैं तथा हरियाणा सरकार से मांग कर रहे है कि दलित युवकों की अंधाधुंध गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए । दलितों पर हमला करने वाले दबंग राजपुत जाति ग्राम सरपंच व अन्य आरोपियों को पकड़ा जाए ।