मंगलवार, 23 मई 2017

जातिवाद - बा्रह्मणवाद - मनुवाद की मौत की घंटी बजा दें ।

दलित नेता व बामसेफ से सम्बन्धित सुरेश द्राविड़ जी ने अपने फेसबुक वाल पर अग्रलिखित उद्धरण शेयर किया हुआ है -   ये द ग्रेट चमार क्या होता है ? फिर बाकि के द ग्रेट भंगी, द ग्रेट खटीक, द ग्रेट महार, द ग्रेट ढ़ीवर होने लगेगें । ये तो जातियां मजबूत हो रही हैं । उनकी दी गई जातियों पर गर्व करोगे तो जातिवाद मजबूत होता जाएगा । ये बाबा साहब का एनहिलेशन आफ कास्ट नही है । ये बुद्ध की समता नहीं है ।- राहुल शैंडे
सुरेश जी की पोस्ट पर अच्छी चर्चा चल रही है ।

जातिवाद ब्राह्मणवादी हिन्दू धर्म का उत्पाद है । इस घृणित व्यवस्था से लड़ते लड़ते बाबा साहब ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया । लेकिन आज भी हमारे समाज के लोग जाति विशेष का होने पर गर्व अनुभव करते हैं । ये हमारे अंदर का बा्रह्मणवाद  है । इसका विरोध किया जाना चाहिए । जाति व्यवस्था इतनी खतरनाक है जो खुद वंचित वर्ग को भी बांट कर रख देती है । सुरेश जी ने सही सवाल उठाया है । समस्त दलित समाज की एकता का सवाल आज हमारे सामने मूंह बाए खड़ा है । उच्च जातियों के जूल्म का मुकाबला कोई एक अकेली दलित जाति नहीं कर सकती । सभी दलित जातियों को एक मंच पर आना होगा । सैद्धांतिक रूप से कोई इसका विरोधी भी नहीं होगा । अपने भाषणों में सभी बहुजन समाज की बात करते हैं । बाबा साहब के सच्चे अनुयायी होने का ढोंग करते हैं लेकिन कारवाई के स्तर पर जातिवाद की विचारधारा को मानते हैं । एक ठोस उदाहरण देकर मैं अपनी बात करना चाहूंगा । अभी हाल ही में जिला कैथल के बालू गांव में दबंग जाति के बदमाशों ने दलित बस्ती पर हमला कर दिया । घरों में तोड़फोड़ की गई । दस से ज्यादा लोग जख्मी हुए । डर के मारे दलित पलायन कर गए । प्रशासन के साथ मिलकर दबंग पीडि़तों पर समझौते का दबाव बना रहें हैं ।
पीडि़तों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करने के लिए इनेलो पार्टी के रामपाल माजरा भी पीडि़तों से मिल चुके हैं । हालांकि दलित उत्पीड़न के मामले में इनेलो का रिकार्ड कोई अच्छा नहीं है । लेकिन जिला कैथल से कोई भी दलित नेता, बसपा पदाधिकारी व अम्बेडकरी मिशन का अनुयायी पीडि़तों को नहीं मिला । 10 मई को बालू मामले में कैथल शहर में रोष-प्रदर्शन था । सोशल मीडिया पर सबको जानकारी थी । एक महिना गुजरने के बाद भी कोई बालू नहीं गया । हालांकि आल हरियाणा अनुसूचित जाति कर्मचारी संघ से जुड़े दलित वर्ग के कर्मचारियों ने जरूर जवाहर पार्क में आकर बालू घटना की निंदा करी । लेकिन यह भी केवल नैतिक सर्मथन भर था । ये कर्मचारी रोष मार्च में शामिल नहीं हुए । जवाहर पार्क से ही जलूस से अलग हो गए ।

ये बाबा साहब के आदोंलन की कैसी विडंबना है ? ये बहुत अच्छी बात है कि हम दूसरे राज्यों में भी जब दलित वर्ग पर जूल्म होता है तो यहां विरोध करते हैं । ये अच्छी बात है कि हम उसका विरोध करने के लिए कहीं भी जाकर विरोध जताने की हिम्मत रखते हैं । लेकिन ये कैसे संभव है कि हमें अपने पड़ोस में होने वाला जूल्म दिखाई नहीं देता । अप्रेल और मई के महिनों के अन्दर कैथल जिला में तीन संगीन मामले सामने आ चुके हैं । बालू के मामले पर बात हो चुकी है । उझाना में एक घटना हुई । बुढा खेड़ा में एक बच्ची की बेरहमी से बाजू तोड़ दी । आरोपी हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत लेेने में कामयाब हो गया । नरवाना के गांव झील में ही कल एक घटना हुई है । क्या ये दलित उत्पीड़न नहीं है ? हमारे आसपास में घटी इन घटनाओं पर क्या हमें व हर उस सख्स को संज्ञान नही लेना चाहिए, जो बाबा साहब के सपनों का भारत बनाना चाहता है ? सब लोग एक स्वर में कहेंगे कि हां हमें इन दलित उत्पीड़न की घटनाओं का विरोध करना चाहिए । लेकिन विरोध नही किया जा रहा है । पीडि़तों से मिलकर उनको सांत्वना भी नहीं दिया जा रहा । सुरेश जी ने जो सवाल उठाया है कहीं ना कहीं वही विचारधारा बीच में आ रही है । बाल्मीकि दलितों पर जूल्म होता है] चमार दलित चुप हैं । चमार दलितों की चुप्पी इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि शिक्षा संगठन व राजनीतिक चेतना के मामले में चमार अपेक्षाकृत विकसित हैं ।  दलित उत्पीड़न भी जातिवाद के घृणित दायरों में बंट कर रह गया है । दलित आंदोलन को एक जाति विशेष की बपौती भर बनाने की कोशिश की जा रही है । नहीं तो दलित आंदोलन की धरती कही जाने वाली कैथल की धरती पर दलितों पर जूल्म हो और उसका विरोध ना किया जाए  ये कैसे संभव है  दलित युवाओं से अपील है कि दलित समाज को जातिवाद की घृणित चारदीवारी से बाहर लाने के लिए कमर कस लें । बाबा साहब की समानता, स्वतंत्रता व बंधुता की विचारधारा का पालन करें । जातिवाद - बा्रह्मणवाद - मनुवाद की मौत की घंटी बजा दें । और उसकी शुरूआत हमारे अंदर के जातिवाद- बा्रह्मणवाद - मनुवाद की मौत की घंटी बजाकर करें

शनिवार, 20 मई 2017

सहारनपुर में 5 मई को हुए दलित विरोधी दंगों पर एक स्वतंत्र जांच रिर्पोट ।


सहारनपुर में 5 मई की हिंसा के अठारहवें दिन 6 लोगों की एक टीम शब्बीरपुर पहुंची। यहां उऩ्होंने जो देखा, सुना और ऑब्जर्व किया वह चौंकाने वाला है। खुद ही पढ़िए इस टीम के अनुसार कहां से शुरू हुई हिंसा और कौन बने निशाना.......


थोड़ा आगे बढ़ते ही एक बरामदे में पांच-सात महिलाएं बैठी हैं, उनके चेहरों को देखकर थोड़ा भी संवेदनशील आदमी कांप उठेगा। निचुड़ा हुआ बीमार-सा दहशतगर्द चेहरा। वे एक साथ कह उठती हैं, जरा यह भी घर देख लीजिए। वह घर पूरी तरह से जल गया था, उस घर के बरामदे में तीन जली मोटर साइकिलें पड़ी थीं, लोहे की आलमारी बुरी तरह से तोड़ी गई, जली पडी थी। महिलाओं ने बताया, कुछ ही दिनों पहले इस घर में नई बहु आई थी। आतताई उसका सारा सामान लूटकर,लेकर चले गए। उन्होंने बताया और दिखाया कि इस घर में कुछ भी नहीं बचा है, सब जल गया है। लगभग कुल 25 घरों में आग लगाई गई। मोटर साईकिल, टी.वी. और पंखा, जिन भी घरों में थे, उन्हें तहस-नहस कर दिया गया।

 असल में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति पांच-छह फीट ऊंचे चबूतरे पर लगने वाली थी, मूर्ति का चेहरा गांव के भीतर की सड़क की ओर था, अंबेडकर की मूर्तियों का एक पांव आगे की ओर चलने की मुद्रा में बढ़ा होता है, वही सड़क राजपूतों के निकलने का भी रास्ता था, उनको लगता था कि मूर्ति के पांवों तले से गुजरना पड़ेगा। फिर 5 मई को राणा प्रताप की जयंती का अवसर आया। यह जयंती शब्बीरपुर  गांव से दूर एक गांव शिमलाना में मनाई जानी थी। दूर-दूर के राजपूतों को न्यौता भेजा गया था। वे लोग शिमलाना में जुटे भी थे, लेकिन सैकड़ों की संख्या में लोग तलवारों, बंदूकों और अन्य हथियारों के साथ शब्बीरपुर में भी जुटे और जुलूस की शक्ल में बाजे-गाजे के साथ शब्वीरपुर से शिमलाना जाने की तैयारी कर रहे थे। दलितों ने बिना अनुमति के इस जुलूस पर अपना एतराज प्रशासन से जताया था, तनाव की आशंका में ही पुलिस पहले से ही शब्बीरपुर में तैनात थी। 

हम लोग घायलों से मिलने सहारनपुर सरकारी अस्पताल गए। कुल लगभग 17 लोग घायल हैं, सबसे गंभीर रूप से घायल दलित संत कुमार देहरादून के जोली-ग्रांट अस्पताल में भर्ती हैं,  दो बार आपेरशन हो चुका है। उसकी हालात गंभीर है। 5-6 लोग निजी अस्पतालों में हैं। 10 लोग सरकारी अस्पताल में थे। उसमें 4 महिलाएं और 6 पुरूष हैं। सबसे बदत्तर हालात एक पति-पत्नी की है। जिनका नाम अग्नि भाष्कर और रीना है। सिर से पांव तक दोनों पर तलवार और छड़ों से वार किया गया है। छाती बचाने की कोशिश में रीना के दोनों हाथ तलवार से बुरी तरह जख्मी हैं। दोनों पति-पत्नी के सिर, हाथ, पांव, जांघ, पेट और पीठ पर पट्टियां बंधी हुई हैं। सबसे ह्दयविदारक दृश्य यह था कि रीना की, सबकुछ से अनजान मासूम बच्ची बेहोशी की स्थिति में पड़ी मां के घायल स्तनों से दूध पाने की कोशिश कर रही है।  
राजपूतों ने एक गन्ने के खेत में भी आग लगा दी, क्योंकि उन्हें अंदेशा था कि दलित भागकर इसी में छिपे हैं। दलित टोले के लोगों ने बताया कि वे हर हर महादेव, जै श्रीराम, जै राणा प्रताप का नारा लगा रहे थे। वे चिल्ला रहे थे कि शब्बीरपुर में रहना है, तो योगी-योगी कहना है। हमलावरों की भीड़ अंबेडकर मुर्दाबाद के नारे भी लगा रही थी। जातिसूचक और मां-बहनों को संबोधित कर गालियां दी जा रही थीं। घायलों ने बताया कि मारते हुए और गालियां देते हुए वे लोग कह रहे थे कि बोल राणा प्रताप की जय, बोल अंबेडकर मुर्दाबादबुरी तरह से घायल भाष्कर ने हम लोगों से कहा कि हम कैसे अंबेडकर मुर्दाबाद बोल सकते थे।  

इस टीम में डॉ. पुष्पेंद्र, संदीप राऊ, डॉ. सौरभ, मदन पाल गौतम, सिद्धार्थ और संदीप शामिल थे।

रविवार, 14 मई 2017

सहारनपुर दलित विरोधी दंगों के विरोध में कैथल में रोष प्रदर्शन । न्यायिक जांच की मांग ।





सहारनपुर में दबंग लोगों व युपी सरकार के गठजोड़ से हुई दलित विरोधी घटनाओं के विरोध में हरियाणा के कैथल शहर में विभिन्न दलित संगठनों ने रोष प्रकट किया । उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की निंदा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार एक समुदाय विशेष की गुंडागर्दी को बढावा दे रही है । सहारनपुर में जब दलित समाज के घर जलाए जा रहे थे तो पुलिस वहां मौजूद थी । राजपूत जाति के स्थानीय विधायक की निगरानी में दलित समाज के घर जलाए गए ।रोष प्रदर्शन में आए अधिवक्ता रजत कंसल ने कहा कि इस घृणित घटना की जांच उच्चत्तम न्यायालय के जज द्वारा करवाई जानी चाहिए । दलितों को अपना बचाव करने के लिए शस्त्रें के लाईसेंस बनाने चाहिए । घटना में पीडि़त परिवारों को 50-50 लाख रूपए मुआवजा व एक-एक सरकारी नौकरी देनी चाहिए । रजत कंसल ने मांग की कि उत्तरप्रदेश सरकार सहारनपुर जिला को दलित उत्पीड़न प्रभावित जिला घोषित करें तथा एससी एसटी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार दोषियों के खिलाफ कारवाई की जाए । दलित कार्यकर्ता रमेश कुतुबपुर ने कहा कि  एक योजनाबद्ध तरीके से दलित समाज को निशाना बनाया जा रहा है । तथा इन हमलों को जवाब समस्त दलित समाज को एक होकर देना होगा । अलग अलग रहकर इन हमलों का मुकाबला नहीं किया जा सकता । रमेश कुतुबपुर ने जोर देकर कहा कि सामाजिक उत्पीड़न के खिलाफ जुझारू आंदोलन खड़ा करना चाहिए, ये बहुत जरूरी है लेकिन दलित वर्ग की आर्थिक मोर्चे की मांगों पर संघर्ष करना जरूरी है । रोष प्रदर्शन में हरियाणा प्रदेश के कोने कोने से आए प्रवीण बड़सी, सोनू आरजे जैसे मीशनरी गायक एवं सांस्कृतिक कर्मियों ने भी भाग लिया । भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद सहित विभिन्न सामाजिक नेताओं पर उत्तरप्रदेश की कट्टरपंथी हिंदूवादी सरकार द्वारा रासुका जैसे काले कानून थोपने की निंदा की तथा उनको बिना शर्त रिहा करने की मांग की ।

बुधवार, 10 मई 2017

बालू के दलितों का जिला सचिवालय पर प्रदर्शन । सरपंच की गिरफ्तारी व डीएसपी को मुकदमा से हटाने की मांग ।




10 मई 2017 । कैथल । बालू गांव में मई महिना की पहली तारिख को घटित दलित उत्पीड़न की घटना में आरोपी सरपंच व अन्य 80-90 हमलावरों की गिरफ्रतारी के लिए बालू गांव के लोग विभिन्न जन संगठनों के नेतृत्व में स्थानीय जवाहर पार्क में जमा हुए । कामरेड फूल सिहं की अध्यक्ष्ता में  जन संघर्ष मंच हरियाणा नौजवान भारत सभा युथ फोर चेंज  बहुजन स्टृडेंट वेलफेयर संगठन तथा डीएएसएफआई आदि संगठनों के कार्यकर्ता एवं सैंकड़ो दलित नौजवान जवाहर पार्क से पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक नारेबाजी करते हुए आए । सैकड़ों की संख्या में युवक सरपंच रमेश कुमार को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे ।


Protesting Activists 

 जन संघर्ष मंच के अध्यक्ष कामरेड फूल सिहं ने रोष प्रदर्शन को संबोधित करते हुए बताया कि दस दिन बीत जाने के बाद भी दोषी सरपंच को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया गया है । पुलिस दलित बस्ती पर हमला करने वालों का बचाव कर रही है । खुद मुकदमा के जांच अधिकारी डीएसपी सतीश गौतम दलित समुदाय पर राजीनामा करने का दबाव बना रहा है । दलित परिवार पलायन करने को मजबूर है । नौजवान भारत सभा की तरफ से आए वक्ता श्री अजय कुमार ने बताया कि दलित समाज को बाकि मेहनतकश जनता के साथ मिलकर जाति-प्रथा के समूल खात्में की लड़ाई लड़नी होगी । आल हरियाणा अनुसूचित जाति कर्मचारी संघ के नेता श्री राजेश सिहंमार ने भी बालू गांव में घटित दलित उत्पीड़न की घटना की निंदा की व अपना हार्दिक समर्थन प्रकट किया । इसके साथ ही कर्मचारी सघं के दलबीर राठी सुरेश द्राविड़ तथा अन्य गणमान्य लोगों ने भी दलित समाज के प्रदर्शन का समर्थन किया । एसपी कैथल प्रदर्शनकारियों से मिलने नहीं आए । कोई अन्य अधिकारी एसपी की गैर हाजिरी में ज्ञापन व मांग पत्र प्रदर्शनकारियों से लेना चाहता था जिसका सभी प्रदर्शनकारियों ने  विरोध किया । बाद में प्रदर्शकारी उपायुक्त कैथल को ज्ञापन देने पर सहमत हुए । कामरेड फूल सिहं ने ज्ञापन उपायुक्त को पढ़ कर सुनाया । तथा बालू दलित उत्पीड़न केस के आईओ डीएसपी सतीश गौतम को हटाने की मांग की । बालू से आए दलितों ने आरोप लगाया कि डीएसपी डरा धमका कर समझौता करने का दबाव का बना रहा है । उपायुक्त कैथल ने दो दिन के अन्दर सभी मांगों पर उचित कारवाई करने का आश्वासन दिया तथा सामाजिक बहिष्कार व दलितों के भय के कारण गांव से पलायन करने की घटनाओं की जांच करवाने की बात कही ।


वक्ताओं ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि जल्दी से जल्दी आरोपियों को गिरफ्तार नही किया गया तो विभिन्न जनसंगठन इस लड़ाई को और ज्यादा तेज करने पर बाध्य हो होगें जिसकी सारी जिम्मेदारी जिला पुलिस व प्रशासन की होगी । इस सारे घटनाक्रम को एससी एसटी कमीशन के संज्ञान में भी लाया जाएगा ।

रविवार, 7 मई 2017

अपील-आओ बालू गांव के दलितों के साथ खड़े हों



Sanjeev
ग्राम पंचायत गादड़ा पट्टी बालू के सरपंच रमेश कुमार को तुरन्त गिरफ्तार करो।

एससी एसटी एक्ट में नामजद आरोपी सरपंच रमेश कुमार को तुरन्त सस्पैंड करो ।
1 मई को गांव बालू की दलित बस्ती पर हमला करने वाले सभी नामजद व अज्ञात दोषियों को गिरफ्तार करो ।
दोषियों का बचाव करने वाले एसएचओ कलायत व मुकदमा के आईओ डीएसपी सतीश गौतम के खिलाफ विभागीय कारवाई कारवाई करो ।


साथियों
      बालू दलित उत्पीड़न कांड को जिला प्रशासन दबाना चाहता है । स्थानीय मीडिया को भी बालू नहीं जाने दिया गया । इस घटना की जितनी भी खबरें मिडिया में आई हैं उनमें आरोपी सरपंच या स्थानीय प्रशासन का पक्ष या दृष्टिकोण ही हावी रहा । मीडिया लगातार यह समाचार छाप रहा है कि दलितों युवकों ने ही सरपंच पर हमला किया । एक शिकायत भी दलित युवको के खिलाफ थाना कलायत में सरपंच पक्ष ने दे रखी है । शायद कोई एफआईआर भी दलितों के खिलाफ दर्ज हो गई हो  क्योंकि 9 मई को कलायत में केद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिहं आ रहे हैं । इसलिए पुलिस विभाग ग्राम सरपंच की इस इस घृणित करतूत को उजागर नहीं होने देना चाहता ।
      अब तक इस घटना में शामिल केवल दो आरोपियों को 5 मई को गिरफ्रतार किया गया है । कल गांव से समाचार मिला है कि जाटों की खाप पंचायत की बैठक गाांव बालू में हुई थी । दोषी सरपंच इस बैठक को चला रहा था । ये बड़े शर्म की बात है कि उस बैठक में इस मुकदमा के आईओ डीएसपी सतीश गौतम व एसएचओ कलायत भी शामिल थे । इस पंचायत में  दलित समाज के खिलाफ आगामी कारवाई करने की रणनीति बनाई गई है । जाटों की इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जैसे भी हो इस मामले में समझौता करवाया जाए । जब पुलिस खुद आरोपियों के साथ मिलकर समझौता का दबाव बना रही है तो ऐसे में पुलिस से न्याय की उम्मीद करना बेकार है । दलित समाज के ही चंद बिचौलिए व दलाल अपने ही भाईयों पर राजीनामा करने का दबाव बना रहे हैं । इसी प्रकार कैथल जिला के ही और गांव उझाना में भी दबगं जाति के एक रसूखदार आरोपी को भी जिला पुलिस नहीं पकड़ रही है जिसके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत अप्रैल में केस दर्ज किया गया था ।
      जूल्म से डरकर बैठना व उसके आगे आंखें बंद कर लेना कोई समाधान नहीं है । अगर दलित समाज अपने जानमाल की सुरक्षा चाहता है तो उसके पास लड़ाई लड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है । यह किसी एक अकेले पीडि़त या किसी अकेली दलित जाति विशेष का मामला नहीं हैं बल्कि इससे भी बढ़कर यह पूरे दलित समाज की लड़ाई है । बाबा साहब डॉक्टर अम्बेडकर ने घृणित जाति प्रथा को जड़ से समाप्त करने का सपना देखा था । जब तक यह जालिम जाति प्रथा समाप्त नहीं हो जाती, दलित समाज के मान सम्मान की यह लड़ाई जारी रहेगी व अवश्य रहनी चाहिए ।
       बालू गांव के दलित जूल्मी सरपंच व उसके उच्च जातिय घमंड को चूर-चूर करने के लिए चट्टान बनकर कर खड़े हो गए हैं । इसलिए हम सबका भी कर्त्तव्य बनता है कि हम भी इनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो जाएं । सारे देश में दलित जातियों पर हमले बढ़ रहे हैं । हरियाणा में दलित जाति के लोगों पर हमले हो रहे हैं । युपी में भाजपा के नेताओं की अगुआई में दलितों के घरों में आग लगाई जा रही है । दलित मां बहनों की आबरू असमत तार तार की जा रही है । सत्ता के नशे में चूर भाजपा के नेता दलित हितैषी होने का ढोंग कर रहे हैं ।
दिनांक 10 मई 2017 को दलित समाज व दलित उत्पीड़न का विरोध करने वाले विभिन्न दलित एवं जनवादी संगठनों की तरफ एक विशाल विरोध प्रदर्शन जिला मुख्यालय कैथल पर आयोजित किया जा रहा है । सभी दलित एवं जनवादी संगठनों, विपक्षी रानीतिक पार्टियों, समाज कल्याण एवं मानवाधिकार संगठनों और लोकतांत्रिक विचारधारा में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों से अपील है कि केन्द्र व हरियाणा प्रदेश की भाजपा सरकारों की दलित विरोधी नीतियों का भंडाफोड़ करने के लिए विरोध प्रदर्शन में बढ़ चढ़ कर भाग लें ।

दिनांक 10 मई 2017  समय सुबह 11 बजे
जिला मुख्यालय कैथल

निवेदक

जन संघर्ष मंच हरियाणा भारत नौजवान सभा हरियाणा जन कल्याण सोसायटी हरियाणा युथ फोर चेंज नरवाना

शनिवार, 6 मई 2017

1 मई के दिन हरियाणा के गांव बालू (कैथल) में हुई दलित उत्पीड़न की घटना पर मानवाधिकार संस्था, एनसीएचआरओ, दिल्ली व कैथल के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दलित बस्ती में की गई जांच पड़ताल रिर्पोट के अंश



NCHRO Delhi State Prisedent Ashok Kumari
with other Team Members
दिनांक 5 मई 2017 को राजधानी दिल्ली की मानवाधिकार संस्था एनसीएचआरओ की एक जांच टीम बालू गांव में मई दिवस के दिन घटित हुई दलित उत्पीड़न की घटनाओं के जमीनी तथ्योें की जांच पड़ताल करने गांव की दलित बस्ती का दौरा करने गई । टीम दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक गांव बालू की गादड़ा पट्टी में रही । इस टीम में मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ की दिल्ली राज्य ईकाई की अध्यक्ष श्रीमती अशोक कुमारी, सदस्य खालिद , सदस्य अंसार इन्दौरी तथा जनसंघर्ष मंच हरियाणा के अध्यक्ष कामरेड फूल सिहं, नौजवान भारत सभा के श्री अजय स्वामी तथा जगविन्दर, स्वतंत्र पत्रकार राज कुमार तर्कशील, दिलशेर मांडी व वकील राजेश कापड़ो आदि ने भाग लिया । 

टीम ने दलित बस्ती का दौरा किया । पीडि़त परिवारों से बातचीत की । चश्मदीद गवाहों की आडियो और वीडियो बनाई । मौका पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से दलित बस्ती में सुरक्षा-प्रबंधो की जानकारी ली । दलित उत्पीड़न के इस घृणित कांड में दोषियों के खिलाफ पुलिस ने अब तक क्या क्या कदम उठाए हैं, यह जानकारी भी पुलिस अधिकारियों से ली । घटनास्थल के मुआयने व पीडि़तों से टीम की पूरी बातचीत के दौरान मुकदमा के जांच अधिकारी डीएसपी श्री सतीश गौतम व एसएचओ पुलिस स्टेशन कलायत व सादे कपडों में तैनात पुलिस कर्मी वहां मौजूद रहे । घटना के चश्मदीद गवाहों ने पुलिस अधिकारियों के सामने ही अपनी बात टीम को कही । जांच टीम के सदस्य आरोपी सरपंच रमेश कुमार का पक्ष जानने के लिए उसके घर भी गए लेकिन सरपंच टीम के सामने नही आया । टीम ने सरकारी अस्पताल कैथल में दाखिल घायल संजीव व संदीप से भी मुलाकात की ।


गांव बालू जिला कैथल (हरियाणा)


जिला मुख्यालय कैथल से 24 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित गांव बालू हरियाणा प्रदेश के बड़े गांवों में से एक है । यहां के खंडहरों में ऐतिहासिक सिंधू घाटी सभ्यता का गौरव दफन है । यहां पर तीन पंचायतें चुनी जाती हैं । 20000 से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में प्रभावशाली जाति जाट, ब्राह्मण तथा तथाकथित निम्न जाति चमार,बाल्मीकि आदि वास करती हैं । तीनों पंचायतों में दलित जातियों के 1000 से ज्यादा घर हैं । सभी दलित भूमिहीन हैं तथा मुख्यरूप से खेती पर मजदूरी करते हैं । कृषि भूमि का बहुत बड़ा हिस्सा जाटों के स्वामित्व में है । इस क्षेत्र में समय समय पर किसान समस्याओं को लेकर होने वाले आंदोलनों में बालू गांव की भूमिका महत्वपूर्ण रही है । चाहे वह 90 के दशक का सतनाली किसान आंदोलन हो या फिर 2002 का कंडेला किसान आंदोलन । अभी दो पंचायतों के सरपंच जाट हैं तथा एक पंचायत का सरपंच आरक्षित सीट होने के कारण दलित है ।

मई दिवस की सुबह तोड़फोड़-मारपीट



सबसे पहले टीम के सदस्य रमेश पुत्र महाली जाति बाल्मीकि के घर गए, जिसके चौबारे की खिड़की की ग्रिल्स व लोहे की जाली हमले के दौरान तोड़ी गई थी । खिड़की पर लगी लोहे की जाली हमलावरों ने जेलियों व राडों से झलनी कर रखी है । घर के आंगन में बिखरी पड़ी ईटें हमले की भयानकता बयान कर रही थी । रमेश की मां पानपोरी ने टीम को बताया कि हमले केे दिन, जाटों से बचने के लिए कई दलित युवक इस चौबारे में छुप गए थे । उनके ऊपर ईटों, गंडासियों व जेलीयों जैसे हथियारों से  हमला किया गया  । हमलावर अंदर छूपे हुए युवकों को बाहर निकाल कर मारना चाहते थे । यहां कोई तीन चार युवक थे लेकिन इन्हे निकालने के लिए 15-20 दगांईयों की भीड़ चौबारे पर आ गई थी । लड़के बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा पाए । दबंग जाटों ने छत की मुंडेर भी क्षतिग्रस्त कर दी । छत को उखाड़ने का भी प्रयास किया । 50 से ज्यादा दंगाई नीचे गली में हंगामा कर रहे थे । 60 साल की पानपोरी ने बताया कि हमला के दौरान सरपंच रमेश कुमार साथ था । वह खुद हमले की अगवाई कर रहा था । सुबे सिहं की पत्नी बीरमती ने बताया कि औरतों की भी पिटाई की गई और जाति सूचक व गंदी गंदी गालियां दी गई । दंगाई में से कुछ दलित लड़कियों को उठाकर बेईज्जत करने की भी बात कर रहे थे । बीरमती ने बताया कि वारदात के समय बस्ती के सभी पुरूष दिहाड़ी मजदूरी करने चले गए थे । पांच-सात युवक ही बस्ती में बचे थे । जाटों ने 100 से ज्यादा संख्या में आकर बस्ती को घेर लिया था । बाकि लोग हमले का शोर सुनकर या फोन आदि से सूचना पाकर बस्ती में आए थे । 
हमलावर जाटों ने दलित बस्ती में लगे हुए पानी सप्लाई के नल भी तोड़ दिए । दुधारू पशुओं को भी बेरहमी से पीटा गया ।

घटना की पृष्ठभूमि




हमले में घायल संजीव के छोटे भाई सतीश ने बताया कि संजीव और मोहन लाल ने सरपंच रमेश की शिकायत सीएम विंडो में कर दी थी । उन्होने सरपंच के दसवीं के प्रमाण-पत्र को नकली बताया था । इसलिए सरपंच इन से दुश्मनी बरत रहा था । वह कई बार हमारे घर भी आया । हमें कह कर गया कि इन लड़काें को समझा लो कि शिकायत वापस ले ले नहीं तो अच्छा नहीं होगा । हमने भी संजीव को बहुत समझाया कि सरपंच की शिकायत वापस ले लो । लेकिन ये हमारी बात नहीं माने । सरपंच के खिलाफ अखबारों में भी खबर छप गई । वह भड़का हुआ था । हमें हमले का पहले से ही डर था । दलित सुल्तान ने बताया कि सरपंच व उसके आदमी कई दिन से धमकी दे रहे थे । संजीव और मोहन लाल ने 28/04/2017 को सरपंच द्वारा जान से मारने की धमकी दिये जाने की शिकायत एसपी कैथल को करी थी । लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नही की । पुलिस समय पर कारवाई करती तो 1 तारिख को बस्ती पर हमला नहीं होता । हमला में घायल सही राम ने बताया कि जाट जाति के चंद बदमास गत वर्ष नवम्बर महिना में ही हमारे साथ झगड़ा करने की फिराक में थे । दलित समुदाय के लोगों ने इस खतरे की एक शिकायत मुख्यमंत्री हरियाणा को करी थी । तात्कालिन एसएचओ थना कलायत ने दबाव डालकर यह शिकायत वापस करवा दी और अपराधियों के हौसले बढ गए ।



सामाजिक बहिष्कार



दलित महिलाओं ने टीम को बताया कि इस घटना के बाद हमारा खेतों में आना जाना बंद कर दिया गया है । दूध डेरियों के जाट मालिकों ने बाल्मीकि दलितों को दूध बेचने से मना कर दिया है । दूध की कमी के कारण छोटे बच्चों के लिए समस्या पैदा हो गई है । जाट करियाना दुकानों से दलितों को जरूरी सामान भी देने से मना कर रहे हैं । दहशत के कारण स्कूली बच्चों ने स्कूल जाना बन्द कर दिया है । 




भय के कारण पलायन

दलित बस्ती सेे पांच परिवार भय के कारण गांव छोड़कर  चले गए हैं । एक 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला ने बताया कि उसका सारा परिवार जाटों के भय के कारण गांव छोड़ कर चला गया है । वह अकेली घर में है । इस बुजुर्ग ने कांपती आवाज में बताया कि उस दिन जाटों ने कैसे ईटें बरसाई थी । इनके अलावा बिल्लू पुत्र धूला राम, मेहशा पुत्र महाली राम , गज्जा पुत्र टहनी राम , टेका पुत्र मोलू राम के परिवार  घटना वाले दिन व उससे अगले दिन पलायन करके चले गए है । लोग पुलिस की मौजूदगी में पलायन कर रहे हैं ।




पुलिस की भूमिका


Com. Phool Singh President JSM  Haryana
with IO  DSP Satish Gautam 
उत्पीडित परिवारों ने जांच टीम को बताया कि पुलिस हमला होने के तीन घंटे बाद घटना स्थल पर पंहुची । घटना की सूचना के बावजूद एफआईआर अगले दिन दर्ज की गई । 5 मई दोपहर तक इस मामले में पुलिस द्वारा कोई गिरफ्रतारी नहीं की गई थी  पुलिस दोनों पक्षों के बीच संभावित समझौते की इंतजार करती रही । जब 5 मई की दोपहर को जांच टीम बस्ती का दौरा करने गांव में गई तो डीएसपी श्री सतीश गौतम ने दो आरोपियों की गिरफ्रतारी की सूचना जांच टीम को दी । पुलिस ने ग्राम सरपंच रमेश कुमार के गांव से फरार होने की बात कही है । पीडि़त परिवारों ने बताया कि पुलिस के लोग हमलावर पक्ष के घरों में डेरा डाले हुए हैं । जहां पर उनके खानपान की पूरी व्यवस्था है । महिला बीरमति ने बताया कि ऐसे में हम अपनी कोई शिकायत पुलिस को बताने कैसे जा सकते हैं ? दलित महिलाओं ने बताया कि गांव में पुलिस फोर्स तैनात है परंतू आरोपी गांव में खुलेआम घूम रहे हैं । महिलाओं ने कहा कि पुलिस जिस आरोपी सरपंच को फरार बता रही है, वह गांव में ही है और दलित समाज पर राजीनामा करने का दबाव बना रहा है । महिलाओं ने बताया कि उक्त आरोपी विभिन्न गांवों के राजनीतिक लोगों को राजीनामा करवाने के लिए दलित बस्ती में भेज रहा है । पंचायतों के दौर चल रहे हैं । 
एक दलित युवक सुल्तान, जिसका छोटा भाई सही राम भी मई दिवस वाले हमले में घायल हुआ था, ने जांच टीम को बताया कि हमलावर जाटों ने हमारे ऊपर जान लेवा हमला किया । वे संजीव को मरा हुआ समझकर छोड़कर गए थे । हमारे पशुओं तक पर कहर बरपा किया । पुलिस ने दोषियों के खिलाफ कारवाई 24 घंटे गुजर जाने के बाद की लेकिन पुलिस ने सरपंच पक्ष की झुठी रिर्पोट के आधार पर हमारे खिलाफ ही शिकायत दर्ज कर ली । अब पुलिस हमें सरपंच की फर्जी शिकायत में गिरफ्रतार करने की धमकी दे रही है ।
जब मानवाधिकार टीम ने हमला के दौरान घायलों की संख्या पूछी तो पता चला कि उस हमले में दर्जन से ज्यादा दलित घायल हुए थे । केवल तीन घायलों को पुलिस ने घटना वाले दिन अस्पताल में भर्ती करवाया था । जिनको बाद में नागरिक अस्पताल कैथल में भर्ती करवाया गया । जांच के दौरान भी तीन अन्य घायल व्यक्ति टीम के सामने आए । उन्होने टीम को बताया कि उनको भी हमले में चोटें आई थी, वे डर के कारण मेडीकल करवाने नहीं जा सके । तीनों व्यक्तियों को मुकदमा के जांच-अधिकारी डीएसपी श्री सतीश गौतम ने पुलिस वाहन में मेडीकल करवाने के लिए राजकीय प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र कलायत भेज दिया ।

समझौता करने का दबाव

दलित बस्ती में अपनी पड़ताल पूरी करने के बाद टीम  घायलों का हालचाल जानने के लिए नागरिक अस्पताल कैथल भी गई । वहां पर बालू गांव के ही दलित समाज के 15-20 लोग घायल संजीव व संदीप के पास  पहले से आए हुए थे । एक दलित बुजुर्ग रामभज चौहान ने बताया कि वे घायल संजीव व संदीप से सरपंच के साथ समझौता करने के मामले पर मशविरा करने आए हैं । हमें गांव में बसना है जो कि जाटों के साथ दुश्मनी लगा कर संभव नहीं है । रामभज ने कहा कि यदि हमने समझौता नहीं किया तो बस्ती पर फिर से हमला हो सकता है । सबके चेहरों पर भविष्य को लेकर भय की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी ।

जाचं पड़ताल के निष्कर्स



  1. हमले का षडयंत्र सरपंच रमेश कुमार ने रचा व खुद हमला में शामिल होकर उसने दलित उत्पीड़न की        घटना को अंजाम दिया ।
  2. दलित बस्ती पर योजनाबद्ध हमला किया गया ।
  3. यह हमला दलित समुदाय को भयभीत करने के लिए किया गया है ।
  4.  पुलिस थाना कलायत दलित उत्पीड़न की घटना को रोकने में असफल रही है जबकि पीडि़त पक्ष बार  बार जातिय हमलों की शिकायत कर रहा था । ऐसे में पुलिस के दबंग हमलावरों के साथ मिलीभगत होने से भी  इंकार नहीं किया जा सकता ।
  5. पुलिस जानबूझ कर दोषी सरपंच रमेश कुमार को गिरफ्रतार नहीं कर रही । जांच में सामने आया है कि    सरपंच न केवल खूला घूम रहा बल्कि दलित समाज को डरा धमका कर समझौता करने के लिए दबाव भी बना रहा है ।

एनसीएचआरओ दिल्ली एवं जांच टीम में शामिल स्थानीय कार्यकर्ता हरियाणा सरकार से निम्नलिखित मांग करते हैं-

1- सरपंच रमेेश कुमार, गादड़ा पट्टी बालू सहित मुकदमा के सभी दोषियों को तुरन्त गिरफ्रतार किया जाए ।
2- दलितों को दूध आदि बेचने से मना करने वाले डेरी मालिकों के खिलाफ कानूनी कारवाई की जाए ।
3- दलित बस्ती में  सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करवाई जाए । जाति दगों की रोकथाम की जाए ।
4- सरपंच पक्ष द्वारा दलितों के खिलाफ दी गई फर्जी शिकायत निरस्त की जाए ।
5- जातिय हमले में घायल दलित युवकों का सही ईलाज करवाया जाए । संजीव व मोहन लाल सहित गांव के              सभी आरटीआई कार्यकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए ।
6- हमला में घायलों को उचित मुआवजा दिया जाए ।

गुरुवार, 4 मई 2017

5 मई को बालू आएगी मानवाधिकर संगठन एनसीएचआरओ दिल्ली की टीम



 कैथल। मानवाधिकार संगठन एन-सी-एच-आर-ओ दिल्ली की एक टीम 05 मई 2017 गांव बालू का दौरा करेगी और सभी सम्बंधित  पक्षों से बातचीत करेगी । दलित उत्पीड़न घटना में घायलों व दलित परिवारों से मिलकर 1 मई की घटना में दलित बस्ती में हुए नुकसान का आंकलन किया जाएगाा और घटनास्थल का दौरा करने के बाद फैक्ट फांइडिंग टीम जिसमें संगठन की दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष और दिल्ली विश्वविद्यालय की शोधार्थी अशोक कुमारी, महासचिव अन्सार इन्दौरी, सदस्य खालिद सफैुल्लाह व सिद्दकी काप्पन आदि प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं, जिला मुख्यालय पर प्रेस सम्मेलन को संबोधित करेगी । जिला प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों से दलित उत्पीड़न की घटना के बाद उठाए गए कदमों की जानकारी ली जाएगी । 

यदि हरियाणा से भी कोई सामाजिक कार्यकर्ता इस टीम का हिस्सा बनना चाहता है तो कृपया चेम्बर नम्बर 99, अधिवक्ता चेम्बर परिसर, जिला अदालत  कैथल पर 5 मई 2017 को 10 बजे से पहले रिर्पोट करें । फोन नं0 7404552709 पर भी संपर्क करके जानकारी दी सकती है ।

बुधवार, 3 मई 2017

Fact Finding team of National Confederation of Human Rights Organizations visits Village Balu (Kaithal) on 5 May 2017



A Fact Finding team of National Confederation of Human Rights Organizations New Delhi, is scheduled to arrive on 05 May, 2017 at village Balu (Kaithal) to inquire into the incidents of Dalit Atrocities happened on May Day. Prominent Human Rights Activists Mr. Ansar Indori, Mr. Siddique Kaapan and Mr. Khalid Saifulha along with Mrs. Ashok Kumari, NCHRO Delhi State President  and Research Scholar from the Delhi University are the main participant of the Fact Finding team. This team will meet the Dalit families as well as injured youths of the Balmiki community of village Balu and study all the circumstances of attack on the Dalit basti. Human Rights Activists will also meet with the District Administration to take its opinion in respect of the incidents of Dalit Atrocities in the District Kaithal.

Team will arrive at Kaithal at about 11:00 am and return back Kaithal after completing the fact finding at about 4:00 pm. A Press Conference will also be held at district headquarter. If anybody wants to join this team please report at 10:00 am at Chamber No. 99, Lawyers Chambers complex, District Courts Kaithal or contact at mobile No. 7404552709.  

मंगलवार, 2 मई 2017

डीएसपी से मिले दलित । सरपंच सहित 90 से ज्यादा के खिलाफ एफआई दर्ज ।



Dalits at the office of SP  Kaithal
आज सुबह ही गांव बालू के 50 से ज्यादा दलित समाज के बुजुर्ग व नौजवान जिला मुख्यालय पर आए । 1 मई को हुई दलित उत्पीड़न की घटना में जिला पुलिस ने आज सुबह तक कोई गिरफ्रतारी नहीं की थी । न ही कोई मुकदमा दर्ज किया था । जन संर्घष मंच के प्रधान फूल सिहं के नेतृत्व में दलित पुलिस अधीक्षक कैथल के कार्यालय के बाहर 12 बजे तक बैठे रहे वहां पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने पहले तो यह बताया कि  पुलिस अधीक्षक आने वाले हैं लेकिन बाद में बताया कि वह आज नहीं बैठेंगे । 
Injured Sandeep 

Injured Sahi Ram 

इसलिए दलित समाज के लोगों ने डीएसपी सतीश गौतम से मिल कर अपनी समस्या बताई । डीएसपी ने बताया कि 90 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एस सी/एस टी अधिनियम तथा 148/149 आईपीसी आदि धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है । यह डीएसपी इस मुकदमें का जांच अधिकारी भी हैं । घायलों के ब्यान पुलिस ने लिख लिए है । घायल संजीव और संदीप के एक्स-रे आज सुबह ही हो पाए हैं । इनको लगी चोटों पर डाक्टरों की राय अभी नही आई है । 
Injured Sandeep

दलितों ने बताया कि गांव में अभी भी दहशत का माहौल है । कई दलित परिवार गांव छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं । दलित समुदाय के रमेश, हरिकेश पुत्र महाली तथा रामपाल पुत्र धूला राम का परिवार कल हुए हमले से भयभीत होकर गांव छोड़कर चले गए हैं । कल हुए हमले में हुए नुकशान की जानकारी भी दलित संमाज के लोगों ने दी । एक युवक नरेश ने बताया कि हमलावरों कुर्सी, मेज, दरवाजे, खिड़कियां सब कुछ तहस नहस कर दिया । रमेश पुत्र महालि राम के चौबारे की खिड़की उखाड़ दी । बलराज के घर का लोहे का मेन गेट तोड़ दिया । 6-7 साईकिल भी तोड़ डाले । बालू गांव की इस बस्ती के ज्यादातर बाल्मीकि दलित साईकिलों पर पंजाब में फेरी लगा कर बाल खरीदते हैं । इस कार्य में साईकिल की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है । इसलिए सोच समझ कर साईकिलों को निशाना बनाया गया ।

सोमवार, 1 मई 2017

गांव बालू में दलित बस्ती पर हमला । घरों के दरवाजे तोड़कर दलितों को पीटा । एक दर्जन से ज्यादा घायल ।




जिला कैथल के गांव बालू में मई दिवस की सुबह  गुस्साए जाटों ने बाल्मीकि बस्ती पर हमला कर दिया । लाठी, डंडो व तेजधार हथियारों से लैश 100 से ज्यादा हमलावर दलित बस्ती पर टुट पड़े । बस्ती के बाहर खड़े दलित युवकों को ताबड़ तोड़ पीटना शुरू कर दिया । घरों के दरवाजे तोड़ डाले । जमकर पथराव किया । हमलावर गाड़ी ही इंट पत्थर डालकर लाए थे । महिलाओं और लड़कियों के साथ बदतमीजी की । इस हमले में दर्जन से ज्यादा दलित युवकों को चोट लगी है । दलितों के 20-25 घरों में तोड़फोड़ की गई है । मकानों के दरवाजे तोड़ डाले । घरों से निकाल निकाल दलितों को पीटा गया । हमलावर एक मोटरसाईकिल भी उठा कर ले गए । स्थानिय पुलिस चार-पांच दलित युवकों को कलायत सरकारी अस्पताल में भर्ती करवा कर गई थी जिन्हें बाद में हालत गम्भीर होने के कारण कैथल शहर के अस्पताल में रैफर कर दिया गया । संजीव व संदीप दोनों का इलाज फिलहाल यहीं चल रहा है । गांव में दहसत का वातावरण है । लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे । कैथल में दाखिल घायलों ने बताया कि कई घायल लोग अभी भी गांव में ही हैं जो डर के मारे नहीं आ पा रहे । उन्हे भी डाक्टरी सहायता की आवश्यकता है ।
घायलों ने बताया कि हमला सुबह आठ बजे ही हो गया था लेकिन पुलिस साढे नौ बजे गांव में पहुंची और फिर भी हमलावरों की तरफ ही बैठी रही । बड़ी मुश्किल से चार-पांच घायलों को अस्पताल में दाखिल करवाया और अभी तक कोई मुकदमा पुलिस ने दर्ज नहीं किया । एस एच ओ कलायत  से जब यह पूछा कि इस वारदात में अब तक कितने हमलावरों को गिरफ्रतार किया गया है तो उनका जवाब था कि अभी तक इस घटना के संबंध में उनके पास कोई शिकायत नहीं आई है इसलिए कोई केस अभी तक दर्ज नहीं किया गया है । जबकि पूरे घटनाक्रम की जानकारी पुलिस को सुबह से ही है । पुलिस खुद घायलों को उठाकर अस्पताल लाई थी । जिला पुलिस कप्तान के रीडर के अनुसार एक डीएसपी रैंक का अधिकारी भारी पुलिस बल के साथ गांव में डटा हुआ है । रात नौ बजे तक भी कोई पुलिस अधिकारी घायलों के ब्यान दर्ज करने कैथल के सरकारी अस्पताल नहीं पहुंचा था ।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि तीन महिने पहले भी दलित समाज के युवकों ने एससी/एसटी आयोग को एक लिखित शिकायत दी थी कि जाट जाति के कुछ बदमास किस्म के लोग दलित बस्ती में आकर रौब जमाते है और दलित महिलाओं पर बूरी नियत रखते हैं । यह शिकायत पुलिस थाना कलायत ने यह कह कर वापस करवा दी कि तकनीकी आधार पर यह एक कमजोर शिकायत है । दलितों ने पुलिस के दबाव में उक्त शिकायत वापस ले ली ।
हाल ही में दो दलित युवकों संजीव व मोहन लाल ने वर्तमान सरपंच के खिलाफ एक लिखित शिकायत सीएम विन्डो के माध्यम से मुख्यमंत्री कार्यालय को दी जिसमें उन्होनें आरोप लगाया कि ग्राम सरपंच रमेश कुमार का दसवीं का प्रमाण-पत्र फर्जी है । इसकी जांच का जिम्मा जिला शिक्षा अधिकारी कैथल को सौंपा गया । जांच अभी चल रही है । 27 अप्रैल के पंजाब केसरी के स्थानीय संस्करण में इसी शिकायत के संबंध में एक समाचार छपा जिसमें सरपंच के दसवीं के प्रमाण-पत्र पर उंगली उठाई गई थी । दलित युवकों की यह हिम्मत जाट सरपंच बरदाश्त नही कर सका । इसलिए अल सुबह लाठी,डंडों व तेजधार हथियारों से लैश उन्मादी बदमासों को लेकर दलित बस्ती पर टूट पड़ा । दो गंभीर रूप से घायलों में एक शिकायत कर्ता संजीव है जिसकी दोनों बाजूओं की हड्डियां तोड़ डाली गई है । घायलों ने बताया कि हमलावर उसको मरा हुआ समझकर छोड़ कर गए हैं ।
गांव में दहसत है । महिलाएं डरी हुई हैं । पुलिस गांव में तैनात है । लेकिन उत्पीडि़त दलितों की बस्ती में नहीं बल्कि पुलिस हमलावर जाटों के बगड़ में बैठी है ।

कैथल शहर के विभिन्न दलित कार्यकर्ता, जनवादी एवं प्रगतिशील संगठनों के नेता व पदाधिकारी देर शाम सरकारी अस्पताल कैथल में घायलों से मिले । मामले की जानकारी लेने के लिए एसपी कैथल से मिलने के लिए उनके निवास पर गए लेकिन जिला पुलिस कप्तान अपने निवास पर ना मिल सके । जनसंघर्ष मंच हरियाणा के नेता फूल सिहं ने बताया कि कल 2 मई को एसपी कैथल से मिलने का कार्यक्रम हैं । ताकि हमलावरों की गिरफ्रतारी एवं दलित महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके ।