रविवार, 5 नवंबर 2017

गांव सिमला (कैथल) के दलित लड़के अमरीक की हत्या की जांच के लिए पीडि़त पक्ष को बुलाया गया डीएसपी कार्यालय । पीडि़त पक्ष ने उठाए सीआईए कैथल की जांच पर सवाल ।


12 सितंबर 2017 को कलायत-नरवाना के बीच गांव सिमला के पास सिमला गांव के दलित लड़के अमरीक को मोटर साईकिल से कुचल कर मार दिया गया । 15 वर्षिय अमरीक को नरवाना सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया । उच्च जाति के दोषियों ने पुलिस के साथ मिलकर हत्या की इस वारदात को एक सड़क-दुर्घटना बना दिया । दोषियों ने षड़यंत्र पूर्वक थाना कलायत में एक झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी । इसमें यह लिखा गया कि मृतक अमरीक, घायल सागर और बाईक मालिक दीपक किसी काम से पड़ोस के गांव में जा रहे थे और राजमार्ग पर जाते हुए किसी अनजान वाहन ने उनके बाईक को टक्कर मारी । दीपक ने पुलिस को बताया कि अमरीक की मौत इसी हादसे में हुई है और सागर नामक दलित लड़का गंभीर रूप से घायल हो गया ।


यह एक फर्जी कहानी है जो कि उच्च जाति के दो दोषियों ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर घड़ी है । इसका खुलासा तब हुआ जब गंभीर रूप से घायल दलित लड़के सागर को होश आया । सागर ने बताया कि यह कोई दुर्घटना नहीं थी  बल्कि देवेन्दर नामक उच्च जाति के युवक द्वारा इरादा करके की गई हत्या थी । सागर ने बताया कि ये पांच-छह लोग राजमार्ग की और जाकर शराब पार्टी करने के लिए गए थे । रास्ता में ही अमरीक और देवेन्दर का किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था । अमरीक ने सागर को बताया था कि देवेन्दर ने उसकी पीटाई की है और उसको जाति-सूचक गालियां दी हैं ।
सागर ने बताया कि देवेन्दर की इस हरकत का उसने भी विरोध किया था । देवेन्दर ने सागर के साथ भी मारपीट की तथा जाति सूचक गालियां दी । इसके बाद देवेन्दर उनको देख लेने की धमकी देकर, दीपक के बाईक पर दो अन्य लोगों को छोड़ने गांव सिमला गया । अमरीक, सागर और दीपक वहीं राजमार्ग पर बैठे रहे । देवेन्दर ने वापस आते ही बाईक अमरीक और सागर के ऊपर चढ़ा दी । अमरीक और सागर को राजमार्ग पर जाते किसी वाहन से नरवाना अस्पताल में भर्ती करवाया गया । जहां पर डाक्टरों ने अमरीक को मृत घोषित कर दिया । सागर तब भी बेहोश था । पोस्टमॉर्टम के बाद मृतक अमरीक का अंतिम संस्कार कर दिया गया । गौरतलब है कि मृतक अमरीक के बाप की मौत कई वर्ष पहले हो चुकी है तथा उसकी मां चंडीगढ़ में सफाई का काम करती है । अमरीक भी वहीं पर रहता था । कुछ दिन पहले ही गांव में मिलने आया था । गांव के जाटों के दबाव के कारण अमरीक का अंतिम संस्कार कर दिया । अमरीक के परिजनों ने बताया कि जाटों ने हमें सागर से भी नहीं मिलने दिया और सागर को पूरा दिन छिपा कर रखा गया । शाम को ही सागर को मुक्त किया गया, तब सारी सच्चाई उनके सामने आई ।
कैथल एसपी को अगले ही दिन सच्चाई बताने के लिए सागर के नाम से एक शिकायत दर्ज करवाई । एसपी अपने कार्यालय में नहीं था । लेकिन शिकायत उनके कार्यालय में जमा करवा दी । दो दिन बाद सिमला गांव के दलित और उनके रिश्तेदार डीएसपी सतीश गौतम से मिले । समाचार पत्रें में भी आया कि दलित समुदाय पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है । डीएसपी सतीश गौतम ने इस मामले की जांच सीआईए वन कैथल को सौंप दी । सीआईए कैथल के अधिकारी कई दिन तक पीडि़त परिवार को गुमराह करते रहे कि पुलिस ने जांच कर दी है, दोषियों को गिरफ्तार कर लिया है । सीआईए थाना में तैनात पुलिसकर्मी की इस संदर्भ में फोन रिकॉडिंग पीडि़त परिवार के पास है जिसमें वह कह रहा है कि पुलिस ने दोषियों के विरूध कारवाई कर दी है, पीडि़त परिवार चाहे तो गिरफ्तार दोषियों को थाना में आकर देख सकता है । लेकिन जब पिछले सप्ताह पीडि़त परिवार एसपी कैथल से मिला । वहां पर एसपी ने कहा कि उसको इस घटना की कोई जानकारी नहीं है । एसपी ने कहा कि पीडि़त पक्ष तीन दिन बाद आकर उसको मिले । तीन दिन बाद पीडि़त पक्ष को एसपी ने बताया कि सीआईए पुलिस ने जांच कर दी है और हत्या का मामला नहीं बल्कि एक सड़क दुर्घटना ही है ।
यह एक सड़क दुघटना क्यों नहीं हैः
प्रथम, इस हत्या का चश्मदीद गवाह सागर बता रहा है कि देवेन्दर ने ही इरादा करके उनके ऊपर बाईक चढ़ाया था । सागर ने बताया है कि अमरीक और देवेन्दर का झगड़ा हुआ था । देवेन्दर ने अमरीक से मारपीट की थी व जाति सूचक गालियां भी थी । सागर के ब्यान में कोई उलझन नहीं है । पुलिस सागर के ब्यानों को जानबूझ कर अनदेखा कर रही है ।
दूसरा, बाईक का मालिक और इस मामले में तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर एफआईआर दर्ज करवाने वाले दोषी दीपक और  दोषी देवेन्दर के बीच हुआ फोन वार्तालाप इस तथ्य को साफ कर देता है कि यह कोई सड़क-दुर्घटना नहीं बल्कि स्पष्ट रूप से दलित-हत्या का मामला है । घायल सागर के फोन से बाईक मालिक दीपक ने देवेन्दर को फोन किया था । इस फोन वार्तालाप में दीपक, देवेन्दर से पूछ रहा कि तुम कहां हो ? दीपक ने देवेन्दर को बताया कि अमरीक की मृत्यु हो चुकी है । इसमें देवेन्दर स्वीकार करता है कि उसको भी चोट लगी हुई है और वह खेतों में छिपा हुआ है । देवेन्दर कहता है कि दीपक पुलिस को उसका नाम ना बताये बल्कि यह कह दे कि वे तीनों (दीपक खुद, मृतक अमरीक और सागर) बाईक से गांव बिधराना जा रहे थे और किसी अनजान वाहन ने उनके बाईक को टक्कर मारी । इस पर दीपक कहता है कि ये कैसे कहा जा सकता है ? दीपक आगे कहता है कि उक्त बाईक पर तो कोई खरोंच तक भी नहीं आयी हुई । वार्तालाप में दीपक डरा हुआ है । वह कह रहा है कि देवेन्दर ने उसको फंसा दिया है, पुलिस सवाल पर सवाल कर रही है । फिर भी दीपक पुलिस को वही ब्यान देने पर सहमत हो जाता है जो कि दोषी देवेन्दर ने उसको सुझाया था । इस बात पर भी सहमत हो जाता है कि वह दंवंन्दर का नाम पुलिस को नहीं बतायेगा । पीडि़त परिवार ने इस फोन वार्तालाप की एक सीडी एसपी कैथल को उपलब्ध करवाई थी । लेकिन एसपी कह रहा है कि उसको यह वार्तालाप सुनाई नहीं दे रहा । कलायत थाना पुलिस को यह वार्तालाप सुनाई नहीं दिया । सीआईए पुलिस कई दिन तक पीडि़त पक्ष को लोलीपॉप  देती रही कि दोषी पकड़ लिए गए हैं । सीआईए कैथल को भी यह वार्तालाप सुनाई नहीं दिया ।

बहरहाल एसपी कैथल ने इस मामले की जांच एक अन्य डीएसपी को सौंप दी है । 6 नवंबर को डीएसपी ने दोनों पक्षों को अपने कार्यालय पर बुलाया हुआ है । पीडि़त परिवार और इस वारदात में घायल सागर व दलित समुदाय चाहता है कि दोषी देवेन्दर पर हत्या, हत्या के प्रयास तथा एससी एसटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए तथा दोषी दीपक पर षड़यंत्र में शामिल होने तथा साक्ष्यों को मिटाने के अपराध का मुकदमा दर्ज किया जाए । थाना कलायत के पुलिस अधिकारियों पर भी दलितों के विरूध अपराध करने का मुकदमा दर्ज किया जाए ।