सोमवार, 31 जुलाई 2017

भाटला (हरियाणा) दलित उत्पीड़न पर एक रिपोर्ट


आज भाटला गांव में हम 3 साथी अमन, अनवर और मै भाटला में हुए दलित उत्पीड़न और उसके बाद स्वर्णो द्वारा लगाया गया सामाजिक प्रतिबंध के मौजूदा हालात जानने के लिए एक टीम के रूप में गये। वहाँ पर कुछ विश्वसनीय साथियो से हमने मुलाकात की और मौजूदा हालात की जानकारी ली। 
मौजूदा हालात बहुत ही अमानवीय बने हुए है।

भाटला गांव में पिछले महीने नलकूप से पानी भरने को लेकर चमार जाति के युवक और ब्राह्मण जाति के युवक के झगड़े ने बड़ी लड़ाई का रूप ले लिया। जिसमें चमार जाति के लड़कों को ब्राह्मण जाति के लड़कों ने इकठ्ठा होकर मारपीट की व् जाति सूचक गालियां दी। उसके बाद मारपीट के आरोपियों पर SC/ST एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ। गांव के स्वर्णो ने दलितो पर समझौता करने का दबाव बनाया जब दलितो ने समझौता नही किया तो जाटो और ब्राह्मणों ने दलित जातियों पर सामाजिक प्रतिबंध लगा दिया था। पुरे गांव में सामाजिक प्रतिबंध की मुनादी करवाई गई। जिसके बाद दलित समाज ने एडवोकेट रजत कल्सन के नेतृत्व में एकजुटता दिखाते हुए हांसी में प्रदर्शन किया और अनिश्चितकालीन धरना देना शुरू किया। धरने पर लोगो की संख्या हर दिन बढ़ती ही गयी। ये धरना एडवोकेट रजत कल्सन के नेतृत्व में चल रहा था। लेकिन कुछेक छद्म दलित नेताओ ने अहम के कारण व् कुछ नेताओं द्वारा सिर्फ नेतागिरी चमकाने के चक्कर में धरने पर शुरू दिन से ही विवाद होने लग गया था। कुछ दलित नेता इस धरने को हाईजैक करने की फ़िराक में रहे इसके लिए उन्होंने बहुत गड़बड़ भी की और प्रयास भी किये। इस आपसी खींचतान के चक्कर में प्रशाशन ने भी बहुत फायदा उठाया। प्रशासन ने दलितो के पक्ष में करवाई का आश्वसन देकर धरने को खत्म करवा दिया।
आज हमारी टीम ने भाटला गांव का दौरा किया। टीम ने दलित बिरादरी के विश्वनीय साथियो से मुलाकात की और गांव के बारे में जानकारी ली। प्रशाशन जो दावा कर रहा है कि हमने सामाजिक प्रतिबंध को खत्म करवा दिया है। लेकिन हालात इसके एकदम विपरीत है। आज भी सामाजिक प्रतिबंध जारी है। जाटो और ब्राह्मणों ने दलितो में फूट डालने के लिए अब सिर्फ चमार जाति पर प्रतिबंध जारी रखा हुआ है। बाकी की दलित जातियों से सामाजिक प्रतिबंध खत्म कर दिया गया है। क्योंकि स्वर्ण जातियो को अपने खेत में मजदूर भी चाहिए है। मजदूर सिर्फ दलित ही है। इस चाल में स्वर्ण कामयाब भी हो गए है। दलितो की एकता टूट गयी है। इसका एक कारण ये भी है कि 8 दिन जब धरना चला तो भाटला गांव की सभी दलित जातियों ने धरने में मजबूती से भागीदारी की थी। लेकिन छद्म दलित नेताओ ने पूरे धरने को सिर्फ चमार जाति से और बसपा का प्लेटफार्म बना दिया। इस कारण भी दूसरी दलित जातियां नाराज थी। जिसका फायदा स्वर्णो को मिला।
 आज भाटला में चमार जाति पर सामाजिक प्रतिबंध जारी है। न कोई दुकानदार सामान दे रहा है, न कोई मजदूरी पर लेकर जा रहा है, खेतो में घुसने पर रोक अब भी जारी है, न दूध दे रहे है। न चमार बिरादरी के ऑटो में कोई स्वर्ण सवारी बैठ रही है। हालात यहाँ तक है कि दलित आंदोलन की अगुवाई करने वाले एक साथी के पापा भेड़ रखे हुए थे। अब इस सामाजिक प्रतिबंध के कारण वो भेड़ कहाँ चराये। इस लिए उन्होंने अपनी सारी भेड़ आधी कीमत पर बेचनी पड़ी। 
प्रशासन ने भी जो मांगे मानने का आश्वसन दिया था वो अभी तक पूरा नही किया गया है।

पुरे गांव में अफवाओं का दौर जारी है। कुछ अज्ञात सूचनाओं से ये भी खबर आ रही है कि स्वर्ण जाति के नोजवान दलित आंदोलन की अगुवाही करने वाले नोजवानो पर हमला कर सकते है। भाटला में आज जो माहौल बना हुआ है वो बहुत ही अमानवीय है। आज के समय भाटला के दलितों को आप सभी प्रगतिशील, बुद्विजीवियों, कलाकारों, क्रांतिकारी साथियों के साथ की मजबूती से जरूरत हैं। आइये मिलकर भाटला के दलितों का साथ दें।
UDay Che

गुरुवार, 29 जून 2017

खरक पांडवा में बंधवा दलित की हत्या, 51 दिन बाद एफआईआर, कोई भी नहीं किया गिरफ्तार ।



कैथल के गांव खरक पांडवा में एक दलित बंधवा मजदूर की हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है । 30 वर्षिय मृतक जितेन्द्र की विधवा विद्या देवी द्वारा प्रदेश के उच्चाधिकारियों को की गई लिखित शिकायत के अनुसार 12 मई की सुबह 5 बजे गांव के ही नरेश उर्फ महेसड़ नन्हा मोटर साइकिल पर उनके घर आए और जितेन्द्र को जबरन उठा कर ले गए विद्या देवी ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसका पति कई साल से उक्त नरेश उर्फ महेसड नन्हा के खेतों पर सीरी लगा हुआ था कर्ज में डूबा होने के कारण जितेन्द्र चाह कर भी उनके अत्याचारों से  मुक्त नही हो सकता था जब भी वह नरेश उर्फ महेसड नन्हा के खेतों पर सीरी का काम छोड़ना चाहता, वे अनाप-शनाप शर्तो हेराफेरी करके बनाया गये कर्ज की राशी लौटाने की शर्त लगा देते और उसे दिन रात खेतों पर काम करने को मजबूर कर देते अब वह जमींदारों के अत्याचारों और अमानवीय परिस्थितियों में काम करने से तंग आकर कहीं और काम करना चाहता था इसलिए वह कहीं और काम तलाश कर रहा था जितेन्द्र की विधवा ने बताया कि वह आसपास की गौशालाओं में काम की तलाश करने भी गया था जितेन्द्र की यह गतिविधि नरेश उर्फ महेसड नन्हा को रास नहीं आई तथा वे जितेन्द्र पर दबाव डालने लगे कि वह उनके खतों पर जाकर काम करे या विगत दिनों का लिया हुआ कर्ज चुका दे विद्या देवी के पास उक्त दोनों दबगों की फोन रिर्काडिगं भी है जिसमें वे जितेन्द्र को जाति सूचक गालियां दे रहें हैं तथा कहीं और काम पर लगने की एवज में जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं
12 मई को सुबह 8 बजे ग्रामिणों ने विद्या देवी को बताया कि जितेन्द्र की लाश नरेश उर्फ महेसड नन्हा के खेतों में पड़ी है जितेन्द्र के परिजनों ने थाना कलायत को इस वारदात की सूचना दी पुलिस से शव को कब्जा में लेकर पोस्टमार्टम करवाया परिजनों ने मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया लेकिन पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की स्थानीय पुलिस अधिकारी पीडि़त परिवार को डराने धमकाने लगे पुलिस अधीक्षक कैथल को दो बार शिकायत की गई अन्त में पीडि़ता विधवा ने पुलिस महानिदेशक हरियाणा मुख्यमंत्री हरियाणा से जितेन्द्र के हत्यारे जमींदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की गुहार लगाई तदुपरान्त यह मामला परिवाद संख्या 349 DGPN Dated 08/06/2017 पुलिस अधीक्षक कैथल के कार्यालय से डाक द्वारा डीएसपी कैथल के पास कार्रवाई हेतू भेजा गया तथा थाना कलायत में दिनांक 21 जून 2017 को नरेश उर्फ महेसड़ के खिलाफ मुकदमा संख्या 148 हत्या के अपराध में दर्ज किया गया लेकिन अभी तक पुलिस ने इस संबंध में कोई गिरफ्तारी नहीं की है
जनसंघर्ष मंच के प्रदेश अध्यक्ष श्री फूल सिहं के नेतृत्व में मंच के पदाधिकारी पीडि़त परिवार से खरक पांडवा में जाकर मिले तथा घटना की जानकारी ली । 27 जून को हत्या के इस मुकदमा में दोषियों की गिरफ्तारी के बारे में एसपी कैथल से बात की इसके अलावा हरियाणा बाल्मीकि संघर्ष समिति के नेता भी पीडि़त परिवार से मिले तथा उन्होने पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने की बात कही । समिति के प्रदेश सचिव कैलाश चंद क्योड़क और जिला अध्यक्ष रामकला रेहड़ा ने दलित परिवार पर हुई ज्यादती की निंदा की तथा जिला पुलिस को चेताया यदि 15 दिन के अंदर दबंग दोषियों को पकड़ा नही गया तो दलित समाज आंदोलन करने को मजबूर हो जाएगा उन्होने कहा कि जिला पुलिस पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने की बजाये आरोपियों का बचाव कर रहे हैं तथा आरोपी पीडि़त परिवार को धमका रहे हैं उधर एसपी ने बताया कि पुलिस  फोरैंसिक लैब से रिर्पोट आने का इंतजार कर रही है जिसके आधार पर मृत्यु का कारण स्पष्ट हो पाएगा तथा उसके उपरान्त ही इस केस में कोई गिरफ्तारी की जा सकेगी  

इस केस में मृतक जितेन्द्र की विधवा घटनाक्रम की चश्मदीद गवाह है जिसके सामने दोषिगण जितेन्द्र को अगवा करके ले गये थे तथा इसके अलावा पीडि़ता ने दोषिगण द्वारा मृतक को फोन पर दी गई धमकियों की ऑडियो रिकॉडिंग भी बना रखी है जो दोषियों का संबंध हत्या की इस वारदात के साथ जोड़ने के लिए काफि है यह बात भी प्रमाणित है कि मृतक दोषियों के खेत पर बंधवा था तथा दोषी उसको कर्ज के जाल में फंसा कर अमानवीय दशाओं में काम करने को मजबूर कर रहे थे यहां पर दोषिगण को बिना मुकदमा चलाए जेल में डालने की मांग नहीं की जा रही बल्कि उनको न्यायिक हिरासत में लेकर यह जांच करने की गुहार लगाई जा रही है कि उन्होने हत्या का अपराध किया है या नहीं यदि न्यायालय में प्रस्तुत किए गए साक्ष्य उपयुक्त नहीं पाए गए तो न्यायालय दोषियों को बरी कर देगा उपरोक्त वर्णित साक्ष्य दोषियों की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त हैं लेकिन पुलिस अपने उच्च जातिय रवैये के कारण आरोपियों को गिरफ्तार नही कर रही ऐसे मामलों की कमी नहीं है जहां पर पुलिस बिना उपयुक्त साक्ष्यों के भी गिरफ्तारी करती है तथा पुलिस हिरासत में ही दोषियों पर थर्ड डीग्री का प्रयोग करके जुर्म करने की हामी भरवाती है क्योंकि जूर्म को अन्जाम देने वाले प्रभावशाली जमींदार तथा दबंग जाति से संबंधित है इसलिए जब तक उन पर दोष पूर्णतया सिद्ध नहीं हो जाता, उन्हे सलाखों के पीछे नहीं भेजा जाएगा यदि किसी मामूली आदमी पर जूर्म करने का आरोप लगता है तो वह तब तक जेल से बाहर नहीं आता, जब तक न्यायालय द्वारा निर्दोष करार नहीं दिया जा चुका होता