रविवार, 21 सितंबर 2014

मिलै ना दिहाड़ी - राजेश कापड़ो

मिलै ना दिहाड़ी - राजेश कापड़ो

मिलै ना दिहाड़ी मैं साइकिल ठाकै रोज चौक तै ठाली घर जाऊं ।
काम मिलै ना आंख पाटले मैं बाट देखकै हार्या ।
घरका चुल्हा बालण खातर ल्याऊं चून उधारा ।।
याणें बालक कररे कारा मैं क्युकर काम चलाऊं ।
मिलै ना दिहाड़ी .....

गंजी होगी टाट तांसला सिर नै चाटग्या ।
धेला मिलता नहीं सांझ नै चाला पाटग्या ।।
उधार देणतै सेठ नाटग्या मैं क्युकर रोटी खांऊं ।।
मिलै ना दिहाड़ी .....

भात अर जाप्पे बहण बुआ के साक्के न्यारे-न्यारे ।
बुढ़ा-बुढ़ी पड़े खाट मै दिखण के लाचारे ।।
ना पुगे दवाई ल्या-ल्या हारे मैं क्युकर फर्ज चुकाऊं ।
मिलै ना दिहाड़ी .....

सोनू-मोनू फिरैं उघाड़े ठिर-ठिर कांपै पाले मै ।
मेरी प्रेमो बोहणी हांडै कोए कसर ना चालै मै ।
मै मरग्या कति दिवाले मै किसकै मौजे ल्याऊं ।
मिलै ना दिहाड़ी .....

करड़ाई रह सिरकै ऊपर हरकै बोहत देखली ।
अदलाबदली सरकारां करकै बोहत देखली ।
आप्पा मरकै मौत देख ली मै डांगर ढाल रड़ाऊं ।
मिलै ना दिहाड़ी .....

करो जापता कट्ठे होकै एकता आज बणाओ ।
जो म्हारी जान का दुश्मन उस जालिम तै भिड़ जाओ ।
झंडा लाल हाथ मै ठाओ मैं भी आगै पाऊं ।
मिलै ना दिहाड़ी मैं साइकिल ठाकै रोज चौक तै ठाली घर आऊं ।

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