रविवार, 11 जून 2017

दलित प्रतिरोध कार्यक्रम, 20 जून 2017, 10 बजे , जवाहर पार्क कैथल

सहारनपुर दलित उत्पीड़न काण्ड की सुप्रीम कोर्ट जजों से जांच करवाओ
दलित उत्पीड़न के दोषी बालू गांव के सरपंच रमेश सहित सभी आरोपियों को गिरफ्तार करो
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को बिना शर्त रिहा करो झुठे मुकदमें वापस लो
हरियाणा के 15 दलित छात्र नौजवानों पर दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस लो
बालू-बुढाखेड़ा-पतरेहड़ी-झील के उत्पीडि़त दलित परिवारों को उचित मुआवजा प्रदान करो
सहारनपुर के उत्पीडि़त दलित परिवारों को मुआवजा दो तथा उनका उचित पुर्नवास करो
जातिवाद-ब्राह्मणवाद-मनुवाद मुर्दाबाद मोदी-योगी-खट्टर मुर्दाबाद
साथियों
देश भर में दलितों पर हमले बढ़ रहे हैं केन्द्र और विभिन्न राज्यों में भाजपा की सरकारों के गठन के बाद दलितों पर होने वाले अत्याचारों में बढ़ोतरी हुई है दलित छात्र रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या, गुजरात के ऊना दलित प्रतिरोध और सहारनपुर में दलित समुदाय पर  हुए भयंकर अत्याचारों के बाद देश भर में जबरदस्त दलित उभार देखा जा सकता है भीम सेना जैसे अपेक्षाकृत उग्र प्रतिरोध के स्वरूप सामने आए हैं जिसनें पूरे देश में दलितों के विवके को झकझोर कर रख दिया है उनमें एक नई उर्जा और स्वाभिमान का संचार किया है प्रतिरोध का यह स्वरूप दलित युवाओं के लिए किसी आर्दश से कम नहीं है मोदी के केन्द्र में प्रधानमंत्री बनने के बाद अत्याचारों के रूप में 2016 में दलितों पर हमलों के 47000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए रोजाना 2 दलित मारे जाते हैं और पांच दलित औरतों के साथ बलात्कार की घटना होती है प्रत्येक 18वें मिनट में दलित के खिलाफ एक अपराध होता है, सप्ताह 13 दलितों को मौत की नींद सूला दिया जाता है, सप्ताह में 6 दलितों का अपहरण किया जाता है, हररोज दलित-उत्पीड़न की 27 घटनाएं दर्ज होती है 2012 के एक सर्वे के अनुसार 93 प्रतिशत दलित परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं
सहारनपुर में दलित बस्ती पर दबंगों के हमले, आगजनी एवं दलितों की सरेआम हत्या के बाद भीम आर्मी पर राजकीय दमन ढाया जा रहा है उच्च जातिय मनोरोग से बीमार भारत का मीडिया सहारनपुर दलित प्रतिरोध के नेता चंद्रशेखर को जातिय हिंसा फैलाने वाले खलनायक के रूप में पेश कर रहा है अंबाला जेल में बंद पतरेहड़ी गांव के निर्दोष युवाओं की आवाज उठाने वाले दलित छात्रें नौजवानों पर हरियाणा पुलिस देशद्रोह का मुकदमा कर चुकी है हरियाणा में दलित आंदोलनकारियों पर पहली बार इतनी बड़ी संख्या में देशद्रोह का मुकदमा ठोंका गया है   कैथल के गांव बालू में दलित-बस्ती पर दबंग जाति के हमले को एक महिना से ज्यादा बीत गया है जिला पुलिस ने केवल 4 आरोपियों को ही गिरफ्तार किया था जोकि न्यायालय द्वारा जमानत पर रिहा किये जा चुके हैं मुख्य आरोपी सरपंच रमेश और बाकि सभी आरोपी अभी तक खूले घूम रहे हैं आरोपियों की गिरफ्रतारी के लिए बालू गांव के दलित कई बार जिला पुलिस अधिकारियों से मिल चुके हैं लेकिन अभी तक पुलिस आरोपियों को पकड़ कर कानून के हवाले नहीं कर पाई है
उतर प्रदेश में सता में आते ही भाजपा की योगी सरकार ने उच्च जातिय गुंडों को मनमर्जी करने की खूली छूट दे दी है दलित समाज के लोगों को तरह तरह के बहाने बनाकर उत्पीडित किया जा रहा है दलित रोषस्वरूप आंदोलन करने को मजबूर है उच्च जातियों के दमन के कारण दलित धर्म-परिर्वन करने को बाध्य हुए हैं उतर प्रदेश से सामूहिक धर्म-परिर्वन के कई उदाहरण सामने आए हैं मोदी सरकार का दलित प्रेम उमड़ रहा है, बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के बड़े-बड़े स्मारक बनाकर दलितों को भ्रमित किया जा रहा है दूसरी तरफ दलितों पर हमले बेतहाशा बढ़ गए हैं पुलिस प्रशासन हमलावरों का बचाव कर रहा है दलित कल्याण की योजनाओं में कटौती की जा रही है समय की विडंबना यह है कि आरएसएस के लोग दीक्षा-भूमि पर खड़े होकर अपने हिंदू-राष्ट्र के एजेंडा का प्रचार कर रहे है जबकि बाबा साहब जीवन भर आरएसएस की विचारधारा मनुवाद-ब्राह्मणवाद-जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे इसी जमीन पर खड़े होकर बाबा साहब ने हिंदू धर्म का त्याग किया था और अपने लाखों समर्थकों सहित हिन्दू-धर्म के विरूध ऐतिहासिक 22 प्रतिज्ञाओं को ग्रहण किया था
भाजपा पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के दावे कर रही है तस्वीर का अन्य पहलू यह है कि भाजपा नेताओं की सम्पतियां लगातार बढ़ रही है अगर सम्पतियों में बढोतरी को भ्रष्टाचार का संकेत माना जाए तो भाजपा किसी भी रूप में कांग्रेस से पीछे नही है   भाजपा अपनी परिसंपतियों और आपराधिक मुकदमों, दोनों ही मामलों में सबसे ऊपर है वरूण गांधी की सम्पति 625 प्रतिशत की दर से बढी है 2009 में उसके पास कुल 4.93 करोड़ रूपए की सम्पति थी 2014 में यह 35.73 करोड़ रूपए हो गई वर्तमान दलित आंदोलन जिग्नेश तथा चंद्रशेखर जैसे युवा एवं जुझारू नेतृत्व को पैदा कर रहा है परंपरागत दलित नेतृत्व को एक साईड किया जा रहा है दलित युवाओं में पतित हो चुके दलित नेतृत्व के खिलाफ भी स्वाभाविक गुस्सा दिख रहा है दलितों में समय-समय पर इस गुस्से की अभिव्यक्ति पहले भी देखी जा चुकी है महाराष्ट्र के रमाबाई नगर कांड तथा खेरलांजी कांड इसके उदाहरण हैं हाल की सहारनपुर की घटनाओं के बाद  बसपा सुप्रीमो का भीम सेना से कोई संबंध नहीं होने का सार्वजनिक ब्यान भी इसका ही उदाहरण है वास्तव में वोट की राजनीति और सता सुख ने पंरपरागत दलित नेतृत्व का बेड़ा गरक कर दिया है उच्च जातियों के वोट हासिल करके सता के सिंहासन पर आसीन होने का लालच इनको दलित समाज के दुख-दर्द से दूर कर देता है बसपा सुप्रीमो का बीस दिन बाद सहारनपुर जाना सिर्फ लोग-दिखावा के अलावा कुछ नहीं था बसपा के इसी रवैये के कारण लोकसभा और विधान सभा चुनावों में इसकी इतनी बूरी गत हुई है दलित आंदोलन के तीन राम- रामविलास पासवान, रामदास अठवाले तथा रामराज जो अब उदित राज बन चुके है- तो भाजपा की गोद में बैठकर भाजपा के हनुमान बन गए हैं बहन जी भी राजनीतिक जोड़-तोड़ की मजबूरियों के कारण, गुजरात में हुए 2002 के मुस्लिम विरोधी दंगों के ठीक बाद, 2003 के गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के लिए प्रचार कर चुकी हैं दलित नेताओं के इन करतबों के कारण दलित जनता का विश्वास वे लगातार खोते जा रहे हैं दलित-पूंजीवाद का लोलीपॉप पकड़ाया जा रहा है लेकिन दलित भूमिहिन किसानों औद्योगिक मजदूरों की आवाज उठाना जैसे पाप घोषित कर दिया गया है ऊना के साथ ही दलित आंदोलन में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है ऊना दलित प्रतिरोध में दलितों के लिए कृषि भूमि की मांग उठाई गई है जमीन की मांग आज सभी राजनीतिक पार्टियों के एजेंडा से गायब हो चुकी है यह मांग दलितों को मैला साफ करने या मरे हुए जानवर उठाने जैसे अपमानजनक कामों से आजादी दिलाएगी आखिरी बार दलित समुदाय ने अपनी रोजी-रोटी से जुड़ा सवाल 1953 1965 के दौरान उठाया था उस समय तीन भूमि सत्याग्रह खुद बाबासाहब की प्रेरणा से हुए थे अपने जीवन के अंतिम समय में अम्बेडकर ने यह महसूस किया कि उन्होने जो कुछ भी किया था, उससे पढ़े लिखे दलितों के एक छोटे से हिस्से को ही फायदा हुआ है और वे देहाती दलित जनता की व्यापक बहुसंख्या के लिए कुछ नहीं कर सके पहले दो सत्याग्रह महाराष्ट्र में 1953 और 1959 में हुए थे वहीं अंतिम सत्याग्रह 1965 में देश भर में हुआ, जिसमें एक महिना के दौरान महिलाओं तथा बच्चों समेत लाखों दलितों ने गिरफ्रतारीयां दी और ग्रामीण क्षेत्रें के जूल्मी जमींदारों में हलचल मचा दी
अभुतपूर्व आर्थिक संकट से निजात पाने के लिए भारत के शासक लगातार फासीवादी हथकंडे अपना रहे हैं श्रम कानूनों को वैश्विक पूंजीवाद के अनुरूप तोड़ा मरोड़ा जा रहा है युनियन बनाने हड़ताल पर जाने के अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है कृषि पर राजकीय सबसीडी अन्य सरकारी खर्च को काटा जा रहा है फलस्वरूप मेहनतकश जनता में सरकार के खिलाफ गुस्सा व्याप्त हो रहा है इस जन आक्रोश से निपटने के लिए भारत के शासक मेहनतकश जनता को मोदी योगी जैसे फासीवादियों के हवाले कर रहे हैं धर्म, जाति नस्ल आदि के आधार पर नफरत फैला कर मेहनतकशों की एकता को संभव नहीं होने दिया जा रहा राजकीय संरक्षण में धार्मिक-अल्पसंख्यकों दलित-जातियों को बलि का बकरा बना कर भारत के शासक तथाकथित उच्च जातियों का समर्थन हासिल करने में सफल हो रहे हैं
वर्तमान समय में दलितों पर होने वाले उच्च जातिय हमलों का मूंहतोड़ जवाब देना समय की मांग है घृणित जाति-प्रथा को जड़ से समाप्त करने लिए दलित जातियों सहित समता-स्वतंत्रता-बंधूता के महान सिद्धांत में आस्था रखने वाले विभिन्न जातियों से संबंध रखने वाले तमाम मेहनतकशों को एकजूट होना चाहिए वर्तमान में एक गलत प्रवर्ती दलित आंदोलन में दिखाई दे रही है जब एक दलित जाति पर हमला होता है तो दूसरी दलित जाति उसका साथ नहीं देती इसके उल्ट भी यह सच है कोई अकेली दलित जाति इस लड़ाई को नहीं जीत सकती दबंग जातियों के अत्याचारों का सामना करने के लिए जरूरी है कि तमाम दलित जातियां एक मंच पर आयें और अन्य मेहनतकश तबकों का भी समर्थन हासिल करें
इसलिए हरियाणा-युपी की भाजपा सरकारों की जातिवादी-ब्रह्मणवादी-मनुवादी नीतियों के विरोध में डटकर खड़े हो दलित जातियों पर बढ़ते दबंग जातिय हमलों का मूहंतोड़ जवाब दें
दलित प्रतिरोध कार्यक्रम
20 जून 2017, 10 बजे
जवाहर पार्क कैथल

निवेदक: दलित युवक सभा, गांव बालू , राष्ट्रीय दलित महासभा, जन कल्याण सोसायटी, नौजवान भारत सभा सोनीपत, युथ फोर चेंज, संपर्क: 8930837445

कोई टिप्पणी नहीं: