सोमवार, 5 जून 2017

15 दलित छात्र नौजवानों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज




जी हां यह सही समाचार है सिविल लाईन पुलिस थाना करनाल में यह मुकदमा दर्ज किया गया है इस मुकदमा के अनुसार इन 15 नामजद दलित छात्र नौजवान ने देशद्रोह का अपराध किया है इन 15 आरोपियों में मोनिका नाम की एक दलित छात्र का नाम भी है जो कुरूक्षेत्र युनीवर्सिटी में पढती है हरियाणा के इतिहास में शायद यह पहला मामला है जहां पर इतनी बडी संख्या में दलित समाज के लोगों को नामजद किया गया है हालांकि इससे पहले भी दलित समाज के अधिकारों की आवाज बुलंद करने वालों पर देशद्रोह के मुकदमें दर्ज किये गए थे भगाना के दलितों पर कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने देशद्रोह बनाया था उससे पहले 2007  में हरियाणा सरकार ने प्राईवेट युनीवर्सिटी बिल का विरोध करने वाले जागरूक छात्र मोर्चा के छात्रें पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था इनमें भी ज्यादातर छात्र दलित या पिछड़ी जातियों संबंधित थे इस्माईलाबाद ( कुरूक्षेत्र) में भी पुलिस ने आवासीय प्लाटों की मांग करने वाले दलितों पर देशद्रोह का केस दर्ज किया था । देशद्रोह का यह मुकदमा दलित नेता कृष्ण कुटेल मलखान नंबरदार राकेश रवि कुमार इंद्री अमर मुनक अमर सगा  मोनिका मुलखराज राजकुमार पतरेहड़ी धर्मसिहं व रविंद्र कुरूक्षेत्र अनिल संजू नरेश पतरेहड़ी पर दर्ज किया गया है ।
भाजपा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने दलितों पर देशद्रोह के मुकदमें दर्ज करके यह प्रमाणित कर दिया है कि वह अपने संघ के एजेंडा पर बखुबी काम कर रही है हरियाणा सरकार की यह दलित विरोधी कारवाई मोदी के उस ब्यान के खोखलेपन को तार तार कर देती है जिसमें उन्होने कहा था  गोली मारनी है तो मुझे मारो मेरे भाई दलितों को क्यों मारते हो
इस संबंध में एफआईआर संख्या 298 दिनांक 26/04/2017 धाराधीन 124ए/147/149/186/283/332/341/353 आईपीसी पुलिस थाना सिविल लाईन में दर्ज की गई है गौरतलब है कि अंबाला जिला के गांव पतरेहड़ी के दलितों ने विभिन्न दलित संगठनों के नेतृत्व में अप्रेल 19 से 26  तक कर्ण पार्क करनाल में धरना किया था प्रदर्शनकारी दलितों की मांग थी कि अंबाला पुलिस दलित नौजवानों को हत्या के एक फर्जी मुकदमें में फंसा रही है उस पर रोक लगाई जाए सीएम मनोहर लाल खट्टर को अपना दर्द बताने दलित अंबाला से यहां आए थे अंबाला पुलिस के लापरवाही भरे रवैए के कारण मार्च में दलित समुदाय और राजपुतों के बीच तनाव चल रहा था राजपुत जाति के कुछ बदमास बार बार दलित समाज के लोगों पर हमला कर रहे थे पुलिस ने शिकायत के बावजूद दबंग जाति के बदमासों पर कारवाई नहीं की   दलितों को दबंगों का मूहतोड़ जवाब देने के लिए मजबूर किया गया और दलित अपनी जानमाल की सुरक्षा करने के लिए एकजुट हुए इस प्रकार से झगड़े की इस घटना में दोनों पक्षों के लोग घायल हुए पुलिस ने उसी समय दलितों पर 323  आईपीसी तथा दबंग जाति के बदमासों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट सहित 323  आईपीसी आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया घटना के चार पांच दिन बाद दबंग जाति के एक घायल की मौत घाव में संक्रमण के कारण हो गई पुलिस ने दलित समाज के नौजवानों को हत्या के अपराध में गिरफ्तार करना शुरू कर दिया छात्र जवानों को जेलों में ठूंस दिया झगड़े की जड़ गांव के सरपंच जिस पर एससी एसटी में मुकदमा दर्ज है अभी तक नहीं पकड़ा गया है पुलिस दलित छात्र नौजवानों को केवल इसी आधार पर उठा रही थी कि वह अंबेडकर संगठन के सदस्य है और दलित उत्पीड़न की घटनाओं का विरोध करते हैं   करनाल के कर्ण पार्क में पतरेहड़ी के दलित मुख्यमंत्री का ध्यान अंबाला पुलिस की इसी मनमर्जी की तरफ दिलाने आए थे
दलित समाज के खिलाफ हरियाणा सरकार की यह कारवाई कोई किसी आम पुलिस अधिकारी की भेदभावपूर्ण कारवाई नहीं है बल्कि हरियाणा सरकार के आला अधिकारियों द्वारा सोच समझकर उठाया गया कदम है जिन 15  दलित छात्र नौजवानों पर यह मुकदमा दर्ज किया गया है वे सभी उस प्रतिनिधी मंडल का हिस्सा थे जो 24 अप्रेल के रोष प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री से मिले थे यह प्रतिनिधी मंडल मुख्यमंत्री के आश्वासन से सहमत नहीं हुआ और कर्ण पार्क में अपना रोष प्रदर्शन जारी रखने की बात बोलकर वार्ता से उठकर गया । 26  अप्रेल को पुलिस ने आंदोलनकारी दलितों को कर्ण पार्क से जबरन खदेड़ दिया सारा दिन सैंकड़ो दलितों को पुलिस बसों में भरकर घूमाती रही और बाद में अलग अलग स्थानों पर फेंक दिया पार्क में पानी भर दिया गया । 26 तारिख को गिरफ्तार किए गए इन लोगों में ये सभी 15  लोग भी थे उनको भी बाकि पब्लिक के साथ छोड़ दिया हालांकि इन सब के खिलाफ 26  अप्रेल को ही देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जा चुका था यदि उसी समय पुलिस इनको गिरफ्तार कर लेती तो आंदोलन और ज्यादा भड़क उठता इसलिए पुलिस ने गिरफ्तारी नहीं की
हरियाणा पुलिस की यह कारवाई कोई अलग थलग घटना नहीं है देश भर में दलितों पर हमलों की घटनाऐं बढ़ रही है केन्द्र अनेक राज्यों में भाजपा की सरकारों का गठन होने के बाद दलित समाज पर उच्च जतिय हमलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अत्याचारों के रूप में 2016  में दलितों पर हमलों के 47000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए इन आंकड़ो के अनुसार रोजाना 2  दलित मारे जाते हैं और पांच दलित औरतों के साथ बलात्कार की घटना होती है एक अन्य अनुमान के अनुसार प्रत्येक 18वें मिनट में दलित के खिलाफ एक अपराध होता है  हर सप्ताह 13  दलितों को मौत की नींद सूला दिया जाता है हर सप्ताह 6  दलितों का आपराधिक अपहरण किया जाता है हररोज दलित उत्पीड़न की 27  घटनाएं दर्ज होती है उतर प्रदेश के सहारनपुर की घटनाओं में भाजपा की योगी सरकार ने जो रवैया अपनाया हुआ है हरियाणा की खट्टर सरकार भी उसी राह पर है ऐसे में दलित समाज के सामने संघर्ष की राह पर अग्रसर होने के अलावा कोई चारा नहीं है


कोई टिप्पणी नहीं: