रविवार, 24 दिसंबर 2017

16-17 दिसंबर 2017 को सर छोटूराम धर्मशाला सोनीपत के गौरी लंकेश हाल मे दो दिवसीय अभियान गोष्ठी व सांस्कृतिक संध्या की रिर्पोट

रवां है काफिला-ए-इर्तिका-ए इंसानी । निजाम-ए-आतिश-ओ-आहन का दिल हिलाये हुए । बगावतों के दुहल बज रहे हैं चारों ओर । निकल रहें हैं जवां मशालें जलाए हुए । गौरी लंकेश की सदा को दबाना तो खैर मुमकिन है । मगर हयात की ललकार कौन रोकेगा ? फसीले आतिश-ओ-आहन बहुत बुलंद सही । बदलते अभियानकी ललकार कौन रोकेगा ?



प्रो. विकास गुप्ता का भाषण

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प्रो. पारथो सारथी का भाषण 


16-17 दिसंबर 2017 को सर छोटूराम धर्मशाला सोनीपत के गौरी लंकेश हाल मे दो दिवसीय अभियान गोष्ठी व सांस्कृतिक संध्या की रिर्पोट

द्वीमासिक पत्रिका अभियान के 100वें अंक के प्रकाशन के अवसर पर 16-17 दिसंबर को सर छोटूराम धर्मशाला सोनीपत के गौरी लंकेश हाल में दो दिवसीय अभियान गोष्ठी का आयोजन किया गया । अभियान के इस आयोजन में 16 दिसंबर को हरियाणा व उतर भारत से प्रकाशित होने वाली कई लघु पत्रिकाओं के संपादको ने भाग लिया । कार्यक्रम की शुरूआत में अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाली संपादक गौरी लंकेश को भावभीनी श्रद्धांजलि दी । अभियान संपादक मंडल के पूर्व सदस्य व सांस्कृतिक कर्मी साथी देवेन्द्र रोहिला, जनवादी रागणी लेखक रामेश्वर दास गुप्ता, युवा रंगकर्मी ईश्वर व कवि आर डी चेतन को का्रंतिकारी श्रद्धांजलि देते हुए हरियाणा के सांस्कृतिक आंदोलन में इन साथियों के योगदान को रेखांकित किया गया । गोष्ठी में आये महमानों ने अभियान अंक 100 के प्रकाशन के अवसर पर अभियान को बधाई दी । हरियाणा से प्रकाशित होने वाली पत्रिका देश हरियाणाके संपादक डॉ- सुभाष ने कहा कि हरियाणा जैसे प्रांत में किसी लघु पत्रिका का 100वां अंक प्रकाशित होना सचमुच एक उल्लेखनीय घटना है । यह अवसर अभियान के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है । अभियान का 100वां अकं जिस दौर में प्रकाशित हुआ है यह इस परिघटना को और भी महत्वपूर्ण बना देता है ।  दिल्ली से प्रकाशित होने वाली पत्रिका मोर्चाके संपादक गोपाल जी ने अभियान को इस अवसर पर बधाई दी । उन्होने कहा कि आज जिस दौर से हम गुजर रहे है, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले तेज हो रहे, अभियान जैसी पत्रिकाओं का प्रकाशन और ज्यादा जरूरी हो गया है । गोपाल जी ने कहा कि भाषा का सवाल भी असल में वर्ग का सवाल है । सभी नए अध्ययन व शौध शासक वर्गों की भाषा अंग्रेजी  में प्रकाशित होते हैं । आम जन की भाषाओं को षड़यंत्र के तहत उभरने से रोका जा रहा है । सामाजिक सरोकारों को आगे बढाने के लिए देशी भाषाओं का विकास जरूरी है, इसलिए भी अभियान जैसी लघु पत्रिकाओं का महत्व बढ जाता है । अभियान पत्रिका के संस्थापक संपादकों में एक व सांस्कृतिक कर्मी राजीव सान्याल ने 100वें अभियान का स्वागत शायराना अंदाज में किया । साहिर लुधियानवी का शेयर राजीव सांयाल ने कुछ इस तरह पढ़ा - रवां है काफिला-ए-इर्तिका-ए इंसानी । निजाम-ए-आतिश-ओ-आहन का दिल हिलाये हुए । बगावतों के दुहल बज रहे हैं चारों ओर । निकल रहें हैं जवां मशालें जलाए हुए । गौरी लंकेश की सदा को दबाना तो खैर मुमकिन है । मगर हयात की ललकार कौन रोकेगा ? फसीले आतिश-ओ-आहन बहुत बुलंद सही । बदलते अभियानकी ललकार कौन रोकेगा ? उत्तर प्रदेश से छपने वाली पत्रिका दस्तककी संपादक सीमा आजाद का बधाई संदेश गोष्ठी में पढा गया । सीमा आजाद ने कहा कि अभियान का इस मुकाम तक पहुंचना उन लोगों के लिए करारा जवाब है जो यह कहते हैं कि सिर्फ जन सहयोग से पत्रिका चलाना संभव नहीं है । उत्तराखंड से प्रकाशित होने वाले हिंदी पत्र नागरिकके संपादक मनीष ने गोष्ठी में उपस्थित अभियान पाठकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के दौर में छोटी पत्रिकाओं को एक संयुक्त मोर्चे का निर्माण करना चाहिए ताकि अभिव्यक्ति की आजादी पर बढ़ते फासीवादी हमलों का मुकाबला किया जा सके ।
अभियान के संपादक मंडल की ओर से डॉ- सुरेन्द्र भारती ने पत्रिका की संपादकीय रिर्पोट प्रस्तुत की । अभियान प्रकाशन में आ रही तमाम समस्याओं को पाठकों के सामने पेश किया  । उपस्थित पाठकों ने अपने अमूल्य सुझाव दिए । संपादक मंडल की कमियों व कमजारियों पर चर्चा की गई । पाठकों ने संपादक मंडल का आह्वान किया कि अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए लक्ष्य निर्धारित किए जाये । अभियान का वितरण बढ़ाया जाए । पाठकों ने सुझाव दिया कि सुचना के इस युग में अभियान को भी ऑनलाईन किया जाए । अभियान के प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल किया जाए ।
अभियान गोष्ठी के इस स्तर के समापन में निम्न प्रस्ताव ध्वनि-मत से पारित किये गए:
डॉ जीएन साईबाबा, चंद्रशेखर आजाद व आरटीआई कार्यकर्ता शिवकुमार सहित तमाम राजनीतिक बंदियों को बिना शर्त रिहा किया जाये । वरिष्ठ माओवादी चिंतक कामरेड कोबाद गांधी की राजनीतिक प्रताड़ना बंद करो । वयोवृद्ध चिंतक को तुरन्त मुक्त किया जाये । लव जिहाद के नाम पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाले फासीवादी गिरोहों का भंडाफोड़ करो । भाटला (हिसार) में दलितों के सामाजिक बहिष्कार की घटनाओं का विरोध करो आदि ।
काकोरी के महान शहीदों की याद में सांस्कृतिक संध्या का आगाज 16 दिसंबर को 5 बजे शहीद बिस्मिल की मशहूर गजल सर फरोशी की तम्मन्ना अब हमारे दिल में हैके साथ हुआ । कड़ाके की शीत लहरों का स्वागत सांस्कृतिक कर्मियों व क्रांतिकारी जोश से सराबोर जन समुह ने गरमजोशी के साथ किया और रात को 11 बजे तक सैंकडों महिला-पुरूष-बच्चे जन रंगमंच के धधकते अलाव का ताप सेकते रहे । पंजाब के जानेमाने जन रंगकर्मी सैमुअल जॉन के सांस्कृतिक जत्थे ने अपनी पंजाबी लघु नाटिका गधा और शेरकी धाकड़ प्रस्तुति से दर्शकों को अपने ही रंग में रंग लिया और दर्शक खुद अभिनेता बन गए । गधा और शेरने बड़े ही सहज व्यंग वाले कथानक के साथ व्यवस्था की पोल खोल दी । चंडीगढ़ से आये पीपुल्स आर्टिस्ट फोरम के कलाकारों ने देर रात तक क्रांतिकारी गीतों का शमा बांधे रखा । जागृति मंच कुरूक्षेत्र के कलाकारों ने महान नाटककार गुरूशरण सिहं के प्रसिद्ध नाटक गड्डाका मंचन किया व जन गीत प्रस्तुत किये । गुम्फन थियेटर के कलाकारों ने सआदत हसन मंटो की कहानियों पर आधारित एक सोलो का जबरदस्त मंचन किया । गंभीर विषय वस्तु वाली इस सोलो ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया तथा सांप्रदायिक दंगों की राजनीति करने वाली ताकतों का पर्दाफाश किया । कड़ाके की ठंड के बावजूद दर्शक काकोरी के महान शहीदों को समर्पित इस क्रांतिकारी संध्या में देर रात तक डटे रहे ।
17 दिसंबर को सुबह 10 बजे गौरी लंकेश हाल दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्वान प्रोफेसर विकास गुप्ता को सुनने के लिए खचाखच भर गया । प्रो- विकास गुप्ता ने समाजवादी क्रांति के बाद सोवियत संघ द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किये गए अदभुत प्रयोगों पर विचार रखे । उन्होनें सोवियत क्रांति द्वारा अपनाई गई  शिक्षा नीतियों पर व्याख्यान देते हुए कहा कि सोवियत सत्ता ने सबके लिए समान व मुफ्रत शिक्षा का बंदोबस्त किया था । उन्होनें कहा कि आज जबकि शिक्षा को बाजार बना दिया गया है, राज्य शिक्षा प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी से मूंह मोड़ चुका है, ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में सोवियत सत्ता के प्रयोगों को याद करने के लिए ऐसी विचार गोष्ठी का आयोजन करने लिए आयोजक धन्यवाद के पात्र हैं । उन्होनें बताया कि सोवियत सत्ता ने शिक्षण संस्थानों की स्वायतता पर बहुत जोर दिया और यह कहना भी अतिश्योक्ति न होगा कि उसने मजदूर-किसानों की संस्कृति को ही मुख्यधारा की संस्कृति बना दिया था । सोवियत संघ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए महान प्रयोगों पर रोशनी डालते हुए प्रो- पारथो सारथी ने कहा कि समाजवादी क्रांति के समय सोवियत संघ एक अति पिछड़ा देश था । उसकी हालत कमोबेश भारत जैसे ही थी । क्रांति पूर्व रूस में सामान्य सी बीमारियों के कारण लाखों लोग मौत का ग्रास बनते थे । सोवियत शासन ने स्वास्थ्य को प्राथमिकता का सवाल समझते हुए दो सिद्धांत को अपनाया कि पहला, व्यक्ति का स्वास्थ्य पूरे समाज का उतरदायित्व है तथा दूसरा, उपचार की बजाये रोकथाम पर जोर दिया जाये । जबकि  पूंजीवादी शासन में नीजि मुनाफे के लिए उपचार पर ज्यादा जोर दिया जाता है । पारथो सारथी ने कहा कि पूंजीवाद में बीमारियों का बाजार फलता-फूलता है ।

दोनों विद्वान वक्ताओं के वक्तव्य के बाद अभियान संपादक मंडल की ओर से डॉ- भारती ने कार्यक्रम की समाप्ती की घोषणा करते हुए हरियाणा प्रदेश व उत्तर भारत के अलग अलग राज्यों से गोष्ठी में आए पाठकों का धन्यवाद किया । गोष्ठी के सफल आयोजन के लिए छात्र अविभावक मंच हरियाणा और छात्र एकता मंच हरियाणा के साथियों का हार्दिक धन्यवाद किया, जिनकी कड़ी मेहनत ने कड़ाके की ठंड के बावजूद आयोजन को सफल बनाया ।    

रविवार, 5 नवंबर 2017

गांव सिमला (कैथल) के दलित लड़के अमरीक की हत्या की जांच के लिए पीडि़त पक्ष को बुलाया गया डीएसपी कार्यालय । पीडि़त पक्ष ने उठाए सीआईए कैथल की जांच पर सवाल ।


12 सितंबर 2017 को कलायत-नरवाना के बीच गांव सिमला के पास सिमला गांव के दलित लड़के अमरीक को मोटर साईकिल से कुचल कर मार दिया गया । 15 वर्षिय अमरीक को नरवाना सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया । उच्च जाति के दोषियों ने पुलिस के साथ मिलकर हत्या की इस वारदात को एक सड़क-दुर्घटना बना दिया । दोषियों ने षड़यंत्र पूर्वक थाना कलायत में एक झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी । इसमें यह लिखा गया कि मृतक अमरीक, घायल सागर और बाईक मालिक दीपक किसी काम से पड़ोस के गांव में जा रहे थे और राजमार्ग पर जाते हुए किसी अनजान वाहन ने उनके बाईक को टक्कर मारी । दीपक ने पुलिस को बताया कि अमरीक की मौत इसी हादसे में हुई है और सागर नामक दलित लड़का गंभीर रूप से घायल हो गया ।


यह एक फर्जी कहानी है जो कि उच्च जाति के दो दोषियों ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर घड़ी है । इसका खुलासा तब हुआ जब गंभीर रूप से घायल दलित लड़के सागर को होश आया । सागर ने बताया कि यह कोई दुर्घटना नहीं थी  बल्कि देवेन्दर नामक उच्च जाति के युवक द्वारा इरादा करके की गई हत्या थी । सागर ने बताया कि ये पांच-छह लोग राजमार्ग की और जाकर शराब पार्टी करने के लिए गए थे । रास्ता में ही अमरीक और देवेन्दर का किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था । अमरीक ने सागर को बताया था कि देवेन्दर ने उसकी पीटाई की है और उसको जाति-सूचक गालियां दी हैं ।
सागर ने बताया कि देवेन्दर की इस हरकत का उसने भी विरोध किया था । देवेन्दर ने सागर के साथ भी मारपीट की तथा जाति सूचक गालियां दी । इसके बाद देवेन्दर उनको देख लेने की धमकी देकर, दीपक के बाईक पर दो अन्य लोगों को छोड़ने गांव सिमला गया । अमरीक, सागर और दीपक वहीं राजमार्ग पर बैठे रहे । देवेन्दर ने वापस आते ही बाईक अमरीक और सागर के ऊपर चढ़ा दी । अमरीक और सागर को राजमार्ग पर जाते किसी वाहन से नरवाना अस्पताल में भर्ती करवाया गया । जहां पर डाक्टरों ने अमरीक को मृत घोषित कर दिया । सागर तब भी बेहोश था । पोस्टमॉर्टम के बाद मृतक अमरीक का अंतिम संस्कार कर दिया गया । गौरतलब है कि मृतक अमरीक के बाप की मौत कई वर्ष पहले हो चुकी है तथा उसकी मां चंडीगढ़ में सफाई का काम करती है । अमरीक भी वहीं पर रहता था । कुछ दिन पहले ही गांव में मिलने आया था । गांव के जाटों के दबाव के कारण अमरीक का अंतिम संस्कार कर दिया । अमरीक के परिजनों ने बताया कि जाटों ने हमें सागर से भी नहीं मिलने दिया और सागर को पूरा दिन छिपा कर रखा गया । शाम को ही सागर को मुक्त किया गया, तब सारी सच्चाई उनके सामने आई ।
कैथल एसपी को अगले ही दिन सच्चाई बताने के लिए सागर के नाम से एक शिकायत दर्ज करवाई । एसपी अपने कार्यालय में नहीं था । लेकिन शिकायत उनके कार्यालय में जमा करवा दी । दो दिन बाद सिमला गांव के दलित और उनके रिश्तेदार डीएसपी सतीश गौतम से मिले । समाचार पत्रें में भी आया कि दलित समुदाय पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है । डीएसपी सतीश गौतम ने इस मामले की जांच सीआईए वन कैथल को सौंप दी । सीआईए कैथल के अधिकारी कई दिन तक पीडि़त परिवार को गुमराह करते रहे कि पुलिस ने जांच कर दी है, दोषियों को गिरफ्तार कर लिया है । सीआईए थाना में तैनात पुलिसकर्मी की इस संदर्भ में फोन रिकॉडिंग पीडि़त परिवार के पास है जिसमें वह कह रहा है कि पुलिस ने दोषियों के विरूध कारवाई कर दी है, पीडि़त परिवार चाहे तो गिरफ्तार दोषियों को थाना में आकर देख सकता है । लेकिन जब पिछले सप्ताह पीडि़त परिवार एसपी कैथल से मिला । वहां पर एसपी ने कहा कि उसको इस घटना की कोई जानकारी नहीं है । एसपी ने कहा कि पीडि़त पक्ष तीन दिन बाद आकर उसको मिले । तीन दिन बाद पीडि़त पक्ष को एसपी ने बताया कि सीआईए पुलिस ने जांच कर दी है और हत्या का मामला नहीं बल्कि एक सड़क दुर्घटना ही है ।
यह एक सड़क दुघटना क्यों नहीं हैः
प्रथम, इस हत्या का चश्मदीद गवाह सागर बता रहा है कि देवेन्दर ने ही इरादा करके उनके ऊपर बाईक चढ़ाया था । सागर ने बताया है कि अमरीक और देवेन्दर का झगड़ा हुआ था । देवेन्दर ने अमरीक से मारपीट की थी व जाति सूचक गालियां भी थी । सागर के ब्यान में कोई उलझन नहीं है । पुलिस सागर के ब्यानों को जानबूझ कर अनदेखा कर रही है ।
दूसरा, बाईक का मालिक और इस मामले में तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर एफआईआर दर्ज करवाने वाले दोषी दीपक और  दोषी देवेन्दर के बीच हुआ फोन वार्तालाप इस तथ्य को साफ कर देता है कि यह कोई सड़क-दुर्घटना नहीं बल्कि स्पष्ट रूप से दलित-हत्या का मामला है । घायल सागर के फोन से बाईक मालिक दीपक ने देवेन्दर को फोन किया था । इस फोन वार्तालाप में दीपक, देवेन्दर से पूछ रहा कि तुम कहां हो ? दीपक ने देवेन्दर को बताया कि अमरीक की मृत्यु हो चुकी है । इसमें देवेन्दर स्वीकार करता है कि उसको भी चोट लगी हुई है और वह खेतों में छिपा हुआ है । देवेन्दर कहता है कि दीपक पुलिस को उसका नाम ना बताये बल्कि यह कह दे कि वे तीनों (दीपक खुद, मृतक अमरीक और सागर) बाईक से गांव बिधराना जा रहे थे और किसी अनजान वाहन ने उनके बाईक को टक्कर मारी । इस पर दीपक कहता है कि ये कैसे कहा जा सकता है ? दीपक आगे कहता है कि उक्त बाईक पर तो कोई खरोंच तक भी नहीं आयी हुई । वार्तालाप में दीपक डरा हुआ है । वह कह रहा है कि देवेन्दर ने उसको फंसा दिया है, पुलिस सवाल पर सवाल कर रही है । फिर भी दीपक पुलिस को वही ब्यान देने पर सहमत हो जाता है जो कि दोषी देवेन्दर ने उसको सुझाया था । इस बात पर भी सहमत हो जाता है कि वह दंवंन्दर का नाम पुलिस को नहीं बतायेगा । पीडि़त परिवार ने इस फोन वार्तालाप की एक सीडी एसपी कैथल को उपलब्ध करवाई थी । लेकिन एसपी कह रहा है कि उसको यह वार्तालाप सुनाई नहीं दे रहा । कलायत थाना पुलिस को यह वार्तालाप सुनाई नहीं दिया । सीआईए पुलिस कई दिन तक पीडि़त पक्ष को लोलीपॉप  देती रही कि दोषी पकड़ लिए गए हैं । सीआईए कैथल को भी यह वार्तालाप सुनाई नहीं दिया ।

बहरहाल एसपी कैथल ने इस मामले की जांच एक अन्य डीएसपी को सौंप दी है । 6 नवंबर को डीएसपी ने दोनों पक्षों को अपने कार्यालय पर बुलाया हुआ है । पीडि़त परिवार और इस वारदात में घायल सागर व दलित समुदाय चाहता है कि दोषी देवेन्दर पर हत्या, हत्या के प्रयास तथा एससी एसटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए तथा दोषी दीपक पर षड़यंत्र में शामिल होने तथा साक्ष्यों को मिटाने के अपराध का मुकदमा दर्ज किया जाए । थाना कलायत के पुलिस अधिकारियों पर भी दलितों के विरूध अपराध करने का मुकदमा दर्ज किया जाए ।

सोमवार, 9 अक्तूबर 2017

गांव सिमला जिला कैथल में एक दलित लड़के 15 वर्षिय अमरीक उर्फ विजय को मोटर साईकिल से कुचल कर मौत के घाट उतारा । एक अन्य दलित लड़का सागर गंभीर रूप से घायल । दोषियों की फर्जी शिकायत पर कलायत पुलिस ने सड़क दुर्घटना में मौत का मुकदमा दर्ज किया ।


15 YEARS OLD DALIT BOY
 AMRIK
 
12 सितम्बर 2017 की शाम को अमरीक अपने उच्च जाति के दोस्तों के साथ सड़क पर घुमने निकला था । एक और दलित लड़का सागर भी इसके साथ था । ये चार पांच लोग राष्ट्रीय राजमार्ग पर गांव बिधराना की दिशा में जाकर बैठ गए । वहां सबने मिलकर पर शराब पी । इसी दौरान शराब के नशे में इनकी मामूली सी बात पर कहासूनी हो गई । अगड़ी जाति के देवेन्द्र पुत्र शिशपाल ने  दोनों दलित लड़कों के साथ गाली-गलोच करना शुरू कर दिया । वह अपने  एक अन्य साथी को मोटर साईकिल से गांव छोड़ने चला गया । अमरीक, सागर व दीपक अभी भी वहीं बैठे रहे । देवेन्द्र जब वापस आया तो उसने अपनी तेज रफ्तार मोटर साईकिल वहां पर बैठे अमरीक, सागर और दीपक पर चढ़ा दी । जिसके कारण अमरीक ने तो वहीं दम तोड़ दिया । राजमार्ग पर जा रहे किसी वाहन से उनको नरवाना सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया । जहां डॉक्टरों ने अमरीक को मृत घोषित कर दिया ।
मोटर साईकिल के मालिक दीपक की शिकायत पर कलायत पुलिस थाना में एफआईआर नम्बर 210/2017 सड़क दुर्घटना का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया । दलित लड़के को मारने वाला देवेन्द्र वहीं खेतों में छूप गया । दलितों का आरोप है कि उक्त थाना में गांव सिमला का ही एक पुलिसकर्मी है जोकि उच्च जाति से संबंध रखता है, उसने ही हत्या के इस मामले को सड़क-दुर्घटना का मामला बनाने में अहम भूमिका निभाई है । दोषी देवेन्द्र का मामा भी क्षेत्र का एक प्रभावशाली आदमी है । 50 वर्षिय दलित राजबीर ने बताया कि जब घटना की जानकारी मिलने पर वे सिविल अस्पताल नरवाना पंहुचे तो उस समय तक मृतक का पोस्ट-मार्टम भी कर दिया था । अस्पताल में गांव के लगभग 50 लोग थे । मृतक का शव पैक कर रखा था । गांव के चौधरियों के यह कहने पर कि दोषियों के खिलाफ कानूनी कारवाई करवाई जाएगी, दलितों ने अमरीक का दहा-संस्कार कर दिया ।
इस वारदात में घायल सागर ने बताया कि एक छोटी सी बात पर देवेन्द्र आग बबूला हो गया था , वह अमरीक और उसको जाति-सूचक गालियां देने लगा था । जब वह एक अन्य मित्र को गांव में छोड़ने गया था तो वह हमें जान से मारने की धमकी देकर गया था । सागर ने बताया कि उन्हें अंदाजा नहीं था कि वह सचमुच ऐसा ही कर भी देगा । उसने वापस आकर अंधाधुंध मोटर साईकिल हम तीनों के ऊपर चढा दी । हम तीनों एक लाईन में सड़क के किनारे लेटे हुए थे । सागर ने कहा कि सबसे पहले अमरीक था, उसके बाद वह खुद और बाद में दीपक था । देवेंद्र ने हमें मारने के इरादे से हमारे ऊपर मोटर साईकिल चढाई थी ।

राजबीर ने बताया कि वे दो बार पुलिस अधिकारियों से मिल चुके हैं । हमने पुलिस की कहानी को मनघड़ंत बताया है । यह कोई सड़क-दुर्घटना का मामला नहीं बल्कि अमरीक पर हत्या करने के मकसद से मोटर साईकिल चढ़ाई गई थी । डीएसपी कलायत ने यह मुकदमा जांच के लिए सीआईए पुलिस को सौंप दिया है और सीआईए के अधिकारी कह रहे हैं कि इस मामले में शुक्रवार तक जांच पूरी हो जाएगी ।

इस वारदात में घायल सागर ने बताया कि एक छोटी सी बात पर देवेन्द्र आग बबूला हो गया था , वह अमरीक और उसको जाति-सूचक गालियां देने लगा था ।

सोमवार, 31 जुलाई 2017

भाटला (हरियाणा) दलित उत्पीड़न पर एक रिपोर्ट


आज भाटला गांव में हम 3 साथी अमन, अनवर और मै भाटला में हुए दलित उत्पीड़न और उसके बाद स्वर्णो द्वारा लगाया गया सामाजिक प्रतिबंध के मौजूदा हालात जानने के लिए एक टीम के रूप में गये। वहाँ पर कुछ विश्वसनीय साथियो से हमने मुलाकात की और मौजूदा हालात की जानकारी ली। 
मौजूदा हालात बहुत ही अमानवीय बने हुए है।

भाटला गांव में पिछले महीने नलकूप से पानी भरने को लेकर चमार जाति के युवक और ब्राह्मण जाति के युवक के झगड़े ने बड़ी लड़ाई का रूप ले लिया। जिसमें चमार जाति के लड़कों को ब्राह्मण जाति के लड़कों ने इकठ्ठा होकर मारपीट की व् जाति सूचक गालियां दी। उसके बाद मारपीट के आरोपियों पर SC/ST एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ। गांव के स्वर्णो ने दलितो पर समझौता करने का दबाव बनाया जब दलितो ने समझौता नही किया तो जाटो और ब्राह्मणों ने दलित जातियों पर सामाजिक प्रतिबंध लगा दिया था। पुरे गांव में सामाजिक प्रतिबंध की मुनादी करवाई गई। जिसके बाद दलित समाज ने एडवोकेट रजत कल्सन के नेतृत्व में एकजुटता दिखाते हुए हांसी में प्रदर्शन किया और अनिश्चितकालीन धरना देना शुरू किया। धरने पर लोगो की संख्या हर दिन बढ़ती ही गयी। ये धरना एडवोकेट रजत कल्सन के नेतृत्व में चल रहा था। लेकिन कुछेक छद्म दलित नेताओ ने अहम के कारण व् कुछ नेताओं द्वारा सिर्फ नेतागिरी चमकाने के चक्कर में धरने पर शुरू दिन से ही विवाद होने लग गया था। कुछ दलित नेता इस धरने को हाईजैक करने की फ़िराक में रहे इसके लिए उन्होंने बहुत गड़बड़ भी की और प्रयास भी किये। इस आपसी खींचतान के चक्कर में प्रशाशन ने भी बहुत फायदा उठाया। प्रशासन ने दलितो के पक्ष में करवाई का आश्वसन देकर धरने को खत्म करवा दिया।
आज हमारी टीम ने भाटला गांव का दौरा किया। टीम ने दलित बिरादरी के विश्वनीय साथियो से मुलाकात की और गांव के बारे में जानकारी ली। प्रशाशन जो दावा कर रहा है कि हमने सामाजिक प्रतिबंध को खत्म करवा दिया है। लेकिन हालात इसके एकदम विपरीत है। आज भी सामाजिक प्रतिबंध जारी है। जाटो और ब्राह्मणों ने दलितो में फूट डालने के लिए अब सिर्फ चमार जाति पर प्रतिबंध जारी रखा हुआ है। बाकी की दलित जातियों से सामाजिक प्रतिबंध खत्म कर दिया गया है। क्योंकि स्वर्ण जातियो को अपने खेत में मजदूर भी चाहिए है। मजदूर सिर्फ दलित ही है। इस चाल में स्वर्ण कामयाब भी हो गए है। दलितो की एकता टूट गयी है। इसका एक कारण ये भी है कि 8 दिन जब धरना चला तो भाटला गांव की सभी दलित जातियों ने धरने में मजबूती से भागीदारी की थी। लेकिन छद्म दलित नेताओ ने पूरे धरने को सिर्फ चमार जाति से और बसपा का प्लेटफार्म बना दिया। इस कारण भी दूसरी दलित जातियां नाराज थी। जिसका फायदा स्वर्णो को मिला।
 आज भाटला में चमार जाति पर सामाजिक प्रतिबंध जारी है। न कोई दुकानदार सामान दे रहा है, न कोई मजदूरी पर लेकर जा रहा है, खेतो में घुसने पर रोक अब भी जारी है, न दूध दे रहे है। न चमार बिरादरी के ऑटो में कोई स्वर्ण सवारी बैठ रही है। हालात यहाँ तक है कि दलित आंदोलन की अगुवाई करने वाले एक साथी के पापा भेड़ रखे हुए थे। अब इस सामाजिक प्रतिबंध के कारण वो भेड़ कहाँ चराये। इस लिए उन्होंने अपनी सारी भेड़ आधी कीमत पर बेचनी पड़ी। 
प्रशासन ने भी जो मांगे मानने का आश्वसन दिया था वो अभी तक पूरा नही किया गया है।

पुरे गांव में अफवाओं का दौर जारी है। कुछ अज्ञात सूचनाओं से ये भी खबर आ रही है कि स्वर्ण जाति के नोजवान दलित आंदोलन की अगुवाही करने वाले नोजवानो पर हमला कर सकते है। भाटला में आज जो माहौल बना हुआ है वो बहुत ही अमानवीय है। आज के समय भाटला के दलितों को आप सभी प्रगतिशील, बुद्विजीवियों, कलाकारों, क्रांतिकारी साथियों के साथ की मजबूती से जरूरत हैं। आइये मिलकर भाटला के दलितों का साथ दें।
UDay Che

गुरुवार, 29 जून 2017

खरक पांडवा में बंधवा दलित की हत्या, 51 दिन बाद एफआईआर, कोई भी नहीं किया गिरफ्तार ।



कैथल के गांव खरक पांडवा में एक दलित बंधवा मजदूर की हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है । 30 वर्षिय मृतक जितेन्द्र की विधवा विद्या देवी द्वारा प्रदेश के उच्चाधिकारियों को की गई लिखित शिकायत के अनुसार 12 मई की सुबह 5 बजे गांव के ही नरेश उर्फ महेसड़ नन्हा मोटर साइकिल पर उनके घर आए और जितेन्द्र को जबरन उठा कर ले गए विद्या देवी ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसका पति कई साल से उक्त नरेश उर्फ महेसड नन्हा के खेतों पर सीरी लगा हुआ था कर्ज में डूबा होने के कारण जितेन्द्र चाह कर भी उनके अत्याचारों से  मुक्त नही हो सकता था जब भी वह नरेश उर्फ महेसड नन्हा के खेतों पर सीरी का काम छोड़ना चाहता, वे अनाप-शनाप शर्तो हेराफेरी करके बनाया गये कर्ज की राशी लौटाने की शर्त लगा देते और उसे दिन रात खेतों पर काम करने को मजबूर कर देते अब वह जमींदारों के अत्याचारों और अमानवीय परिस्थितियों में काम करने से तंग आकर कहीं और काम करना चाहता था इसलिए वह कहीं और काम तलाश कर रहा था जितेन्द्र की विधवा ने बताया कि वह आसपास की गौशालाओं में काम की तलाश करने भी गया था जितेन्द्र की यह गतिविधि नरेश उर्फ महेसड नन्हा को रास नहीं आई तथा वे जितेन्द्र पर दबाव डालने लगे कि वह उनके खतों पर जाकर काम करे या विगत दिनों का लिया हुआ कर्ज चुका दे विद्या देवी के पास उक्त दोनों दबगों की फोन रिर्काडिगं भी है जिसमें वे जितेन्द्र को जाति सूचक गालियां दे रहें हैं तथा कहीं और काम पर लगने की एवज में जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं
12 मई को सुबह 8 बजे ग्रामिणों ने विद्या देवी को बताया कि जितेन्द्र की लाश नरेश उर्फ महेसड नन्हा के खेतों में पड़ी है जितेन्द्र के परिजनों ने थाना कलायत को इस वारदात की सूचना दी पुलिस से शव को कब्जा में लेकर पोस्टमार्टम करवाया परिजनों ने मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया लेकिन पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की स्थानीय पुलिस अधिकारी पीडि़त परिवार को डराने धमकाने लगे पुलिस अधीक्षक कैथल को दो बार शिकायत की गई अन्त में पीडि़ता विधवा ने पुलिस महानिदेशक हरियाणा मुख्यमंत्री हरियाणा से जितेन्द्र के हत्यारे जमींदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की गुहार लगाई तदुपरान्त यह मामला परिवाद संख्या 349 DGPN Dated 08/06/2017 पुलिस अधीक्षक कैथल के कार्यालय से डाक द्वारा डीएसपी कैथल के पास कार्रवाई हेतू भेजा गया तथा थाना कलायत में दिनांक 21 जून 2017 को नरेश उर्फ महेसड़ के खिलाफ मुकदमा संख्या 148 हत्या के अपराध में दर्ज किया गया लेकिन अभी तक पुलिस ने इस संबंध में कोई गिरफ्तारी नहीं की है
जनसंघर्ष मंच के प्रदेश अध्यक्ष श्री फूल सिहं के नेतृत्व में मंच के पदाधिकारी पीडि़त परिवार से खरक पांडवा में जाकर मिले तथा घटना की जानकारी ली । 27 जून को हत्या के इस मुकदमा में दोषियों की गिरफ्तारी के बारे में एसपी कैथल से बात की इसके अलावा हरियाणा बाल्मीकि संघर्ष समिति के नेता भी पीडि़त परिवार से मिले तथा उन्होने पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने की बात कही । समिति के प्रदेश सचिव कैलाश चंद क्योड़क और जिला अध्यक्ष रामकला रेहड़ा ने दलित परिवार पर हुई ज्यादती की निंदा की तथा जिला पुलिस को चेताया यदि 15 दिन के अंदर दबंग दोषियों को पकड़ा नही गया तो दलित समाज आंदोलन करने को मजबूर हो जाएगा उन्होने कहा कि जिला पुलिस पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने की बजाये आरोपियों का बचाव कर रहे हैं तथा आरोपी पीडि़त परिवार को धमका रहे हैं उधर एसपी ने बताया कि पुलिस  फोरैंसिक लैब से रिर्पोट आने का इंतजार कर रही है जिसके आधार पर मृत्यु का कारण स्पष्ट हो पाएगा तथा उसके उपरान्त ही इस केस में कोई गिरफ्तारी की जा सकेगी  

इस केस में मृतक जितेन्द्र की विधवा घटनाक्रम की चश्मदीद गवाह है जिसके सामने दोषिगण जितेन्द्र को अगवा करके ले गये थे तथा इसके अलावा पीडि़ता ने दोषिगण द्वारा मृतक को फोन पर दी गई धमकियों की ऑडियो रिकॉडिंग भी बना रखी है जो दोषियों का संबंध हत्या की इस वारदात के साथ जोड़ने के लिए काफि है यह बात भी प्रमाणित है कि मृतक दोषियों के खेत पर बंधवा था तथा दोषी उसको कर्ज के जाल में फंसा कर अमानवीय दशाओं में काम करने को मजबूर कर रहे थे यहां पर दोषिगण को बिना मुकदमा चलाए जेल में डालने की मांग नहीं की जा रही बल्कि उनको न्यायिक हिरासत में लेकर यह जांच करने की गुहार लगाई जा रही है कि उन्होने हत्या का अपराध किया है या नहीं यदि न्यायालय में प्रस्तुत किए गए साक्ष्य उपयुक्त नहीं पाए गए तो न्यायालय दोषियों को बरी कर देगा उपरोक्त वर्णित साक्ष्य दोषियों की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त हैं लेकिन पुलिस अपने उच्च जातिय रवैये के कारण आरोपियों को गिरफ्तार नही कर रही ऐसे मामलों की कमी नहीं है जहां पर पुलिस बिना उपयुक्त साक्ष्यों के भी गिरफ्तारी करती है तथा पुलिस हिरासत में ही दोषियों पर थर्ड डीग्री का प्रयोग करके जुर्म करने की हामी भरवाती है क्योंकि जूर्म को अन्जाम देने वाले प्रभावशाली जमींदार तथा दबंग जाति से संबंधित है इसलिए जब तक उन पर दोष पूर्णतया सिद्ध नहीं हो जाता, उन्हे सलाखों के पीछे नहीं भेजा जाएगा यदि किसी मामूली आदमी पर जूर्म करने का आरोप लगता है तो वह तब तक जेल से बाहर नहीं आता, जब तक न्यायालय द्वारा निर्दोष करार नहीं दिया जा चुका होता