मंगलवार, 21 मार्च 2017

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।
राजेश कापड़ो




खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।
सोणे आळे  जागज्या  खेती  नै चरगे  रै ।।

कैम्पा कोला पेप्सी मिलती-मिलता ना पानी
अंग्रेजी की बोतल ऐसी जणो राजा नै राणी
बिस्लरी का पानी नलका पाड़ कै धरगे रै ।।

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।।

घरके राक्खे बीज नै हम बो लिया करते
सारा साल घर म्हं राटी पो  लिया करते
करकै कब्जा  बीज  का  पेटैंट करगे रै ।।

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।।

मंहगे भा का बीज दवाई चढरी कास म्हं
सपरे पी पी मरगे  करजे उतरैं ल्हास म्हं 
तों बैठ्या जिस आस म्हं वें ऊंट लदगे रै ।।

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।

बेकारी  की मार नहीं मजदूरां  नै दिहाड़ी
करजा होया विदेशी हालत देश की माड़ी
जुड़गी लोगो जाड़ी गुठली खाखा मरगे रै ।।

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।

कांग्रेस तै भी ऊपर लेे सैं भाजपा आळे
भाईयो बहनो मितरो कहकै पाड़गे चाळे
जात-धर्म के पाळे लोगो दंगे छिड़गे रै ।।

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।

शिक्षा देणा जिम्मेदारी ना सरकार की
स्कूल हावै पंचैती चौधर ठोळेदार की
मिड्डे मीलका रासन बडे अपसर चरगे रै

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।

रोटी खाणी दुभर होगी फोन हो गया सस्ता
शिक्षा पाणी दुभर होगी बोझ हो गया बस्ता
मुसकल है जीवन का रस्ता आंटण पड़गे रै ।।

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।

लाला जी नै खागी  रौणक सोपिंग माल की
रेहड़ी खोखे जकड़ लिए या मकड़ी जाल की

खेत-क्यार सब बाजारां म्हं खागड़ आ लिए
छोटी- बडी   सरकारां म्हं खागड़ आ लिए 
फोज पुलस अर हथियारां म्हं खागड़ आ लिए
महंगी -मंहगी  कारां के म्हं  खागड़ आ लिए
मेक इन इंडिया के नार्यां म्हं खागड़ आ लिए
हर हर मोदी हुंकार्यां म्हं  खागड़  आ  लिए
कच्चे पक्के रोजगारां  म्हं  खागड़ आ लिए

करे मुलाजम बाहर वें सबकी छटनी करगे रै ।
खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।


खागड़ां  के  पाच्छे लाठी  लेकै लागल्यो
जुलमतां की हद होली थम इबतै जागल्यो
भगत सिहं से वीर न्यूए ना फांसी चढगे रै

खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे-खागड़ बड़गे रै ।।

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