शनिवार, 6 मई 2017

1 मई के दिन हरियाणा के गांव बालू (कैथल) में हुई दलित उत्पीड़न की घटना पर मानवाधिकार संस्था, एनसीएचआरओ, दिल्ली व कैथल के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दलित बस्ती में की गई जांच पड़ताल रिर्पोट के अंश



NCHRO Delhi State Prisedent Ashok Kumari
with other Team Members
दिनांक 5 मई 2017 को राजधानी दिल्ली की मानवाधिकार संस्था एनसीएचआरओ की एक जांच टीम बालू गांव में मई दिवस के दिन घटित हुई दलित उत्पीड़न की घटनाओं के जमीनी तथ्योें की जांच पड़ताल करने गांव की दलित बस्ती का दौरा करने गई । टीम दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक गांव बालू की गादड़ा पट्टी में रही । इस टीम में मानवाधिकार संगठन एनसीएचआरओ की दिल्ली राज्य ईकाई की अध्यक्ष श्रीमती अशोक कुमारी, सदस्य खालिद , सदस्य अंसार इन्दौरी तथा जनसंघर्ष मंच हरियाणा के अध्यक्ष कामरेड फूल सिहं, नौजवान भारत सभा के श्री अजय स्वामी तथा जगविन्दर, स्वतंत्र पत्रकार राज कुमार तर्कशील, दिलशेर मांडी व वकील राजेश कापड़ो आदि ने भाग लिया । 

टीम ने दलित बस्ती का दौरा किया । पीडि़त परिवारों से बातचीत की । चश्मदीद गवाहों की आडियो और वीडियो बनाई । मौका पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से दलित बस्ती में सुरक्षा-प्रबंधो की जानकारी ली । दलित उत्पीड़न के इस घृणित कांड में दोषियों के खिलाफ पुलिस ने अब तक क्या क्या कदम उठाए हैं, यह जानकारी भी पुलिस अधिकारियों से ली । घटनास्थल के मुआयने व पीडि़तों से टीम की पूरी बातचीत के दौरान मुकदमा के जांच अधिकारी डीएसपी श्री सतीश गौतम व एसएचओ पुलिस स्टेशन कलायत व सादे कपडों में तैनात पुलिस कर्मी वहां मौजूद रहे । घटना के चश्मदीद गवाहों ने पुलिस अधिकारियों के सामने ही अपनी बात टीम को कही । जांच टीम के सदस्य आरोपी सरपंच रमेश कुमार का पक्ष जानने के लिए उसके घर भी गए लेकिन सरपंच टीम के सामने नही आया । टीम ने सरकारी अस्पताल कैथल में दाखिल घायल संजीव व संदीप से भी मुलाकात की ।


गांव बालू जिला कैथल (हरियाणा)


जिला मुख्यालय कैथल से 24 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित गांव बालू हरियाणा प्रदेश के बड़े गांवों में से एक है । यहां के खंडहरों में ऐतिहासिक सिंधू घाटी सभ्यता का गौरव दफन है । यहां पर तीन पंचायतें चुनी जाती हैं । 20000 से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में प्रभावशाली जाति जाट, ब्राह्मण तथा तथाकथित निम्न जाति चमार,बाल्मीकि आदि वास करती हैं । तीनों पंचायतों में दलित जातियों के 1000 से ज्यादा घर हैं । सभी दलित भूमिहीन हैं तथा मुख्यरूप से खेती पर मजदूरी करते हैं । कृषि भूमि का बहुत बड़ा हिस्सा जाटों के स्वामित्व में है । इस क्षेत्र में समय समय पर किसान समस्याओं को लेकर होने वाले आंदोलनों में बालू गांव की भूमिका महत्वपूर्ण रही है । चाहे वह 90 के दशक का सतनाली किसान आंदोलन हो या फिर 2002 का कंडेला किसान आंदोलन । अभी दो पंचायतों के सरपंच जाट हैं तथा एक पंचायत का सरपंच आरक्षित सीट होने के कारण दलित है ।

मई दिवस की सुबह तोड़फोड़-मारपीट



सबसे पहले टीम के सदस्य रमेश पुत्र महाली जाति बाल्मीकि के घर गए, जिसके चौबारे की खिड़की की ग्रिल्स व लोहे की जाली हमले के दौरान तोड़ी गई थी । खिड़की पर लगी लोहे की जाली हमलावरों ने जेलियों व राडों से झलनी कर रखी है । घर के आंगन में बिखरी पड़ी ईटें हमले की भयानकता बयान कर रही थी । रमेश की मां पानपोरी ने टीम को बताया कि हमले केे दिन, जाटों से बचने के लिए कई दलित युवक इस चौबारे में छुप गए थे । उनके ऊपर ईटों, गंडासियों व जेलीयों जैसे हथियारों से  हमला किया गया  । हमलावर अंदर छूपे हुए युवकों को बाहर निकाल कर मारना चाहते थे । यहां कोई तीन चार युवक थे लेकिन इन्हे निकालने के लिए 15-20 दगांईयों की भीड़ चौबारे पर आ गई थी । लड़के बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा पाए । दबंग जाटों ने छत की मुंडेर भी क्षतिग्रस्त कर दी । छत को उखाड़ने का भी प्रयास किया । 50 से ज्यादा दंगाई नीचे गली में हंगामा कर रहे थे । 60 साल की पानपोरी ने बताया कि हमला के दौरान सरपंच रमेश कुमार साथ था । वह खुद हमले की अगवाई कर रहा था । सुबे सिहं की पत्नी बीरमती ने बताया कि औरतों की भी पिटाई की गई और जाति सूचक व गंदी गंदी गालियां दी गई । दंगाई में से कुछ दलित लड़कियों को उठाकर बेईज्जत करने की भी बात कर रहे थे । बीरमती ने बताया कि वारदात के समय बस्ती के सभी पुरूष दिहाड़ी मजदूरी करने चले गए थे । पांच-सात युवक ही बस्ती में बचे थे । जाटों ने 100 से ज्यादा संख्या में आकर बस्ती को घेर लिया था । बाकि लोग हमले का शोर सुनकर या फोन आदि से सूचना पाकर बस्ती में आए थे । 
हमलावर जाटों ने दलित बस्ती में लगे हुए पानी सप्लाई के नल भी तोड़ दिए । दुधारू पशुओं को भी बेरहमी से पीटा गया ।

घटना की पृष्ठभूमि




हमले में घायल संजीव के छोटे भाई सतीश ने बताया कि संजीव और मोहन लाल ने सरपंच रमेश की शिकायत सीएम विंडो में कर दी थी । उन्होने सरपंच के दसवीं के प्रमाण-पत्र को नकली बताया था । इसलिए सरपंच इन से दुश्मनी बरत रहा था । वह कई बार हमारे घर भी आया । हमें कह कर गया कि इन लड़काें को समझा लो कि शिकायत वापस ले ले नहीं तो अच्छा नहीं होगा । हमने भी संजीव को बहुत समझाया कि सरपंच की शिकायत वापस ले लो । लेकिन ये हमारी बात नहीं माने । सरपंच के खिलाफ अखबारों में भी खबर छप गई । वह भड़का हुआ था । हमें हमले का पहले से ही डर था । दलित सुल्तान ने बताया कि सरपंच व उसके आदमी कई दिन से धमकी दे रहे थे । संजीव और मोहन लाल ने 28/04/2017 को सरपंच द्वारा जान से मारने की धमकी दिये जाने की शिकायत एसपी कैथल को करी थी । लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नही की । पुलिस समय पर कारवाई करती तो 1 तारिख को बस्ती पर हमला नहीं होता । हमला में घायल सही राम ने बताया कि जाट जाति के चंद बदमास गत वर्ष नवम्बर महिना में ही हमारे साथ झगड़ा करने की फिराक में थे । दलित समुदाय के लोगों ने इस खतरे की एक शिकायत मुख्यमंत्री हरियाणा को करी थी । तात्कालिन एसएचओ थना कलायत ने दबाव डालकर यह शिकायत वापस करवा दी और अपराधियों के हौसले बढ गए ।



सामाजिक बहिष्कार



दलित महिलाओं ने टीम को बताया कि इस घटना के बाद हमारा खेतों में आना जाना बंद कर दिया गया है । दूध डेरियों के जाट मालिकों ने बाल्मीकि दलितों को दूध बेचने से मना कर दिया है । दूध की कमी के कारण छोटे बच्चों के लिए समस्या पैदा हो गई है । जाट करियाना दुकानों से दलितों को जरूरी सामान भी देने से मना कर रहे हैं । दहशत के कारण स्कूली बच्चों ने स्कूल जाना बन्द कर दिया है । 




भय के कारण पलायन

दलित बस्ती सेे पांच परिवार भय के कारण गांव छोड़कर  चले गए हैं । एक 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला ने बताया कि उसका सारा परिवार जाटों के भय के कारण गांव छोड़ कर चला गया है । वह अकेली घर में है । इस बुजुर्ग ने कांपती आवाज में बताया कि उस दिन जाटों ने कैसे ईटें बरसाई थी । इनके अलावा बिल्लू पुत्र धूला राम, मेहशा पुत्र महाली राम , गज्जा पुत्र टहनी राम , टेका पुत्र मोलू राम के परिवार  घटना वाले दिन व उससे अगले दिन पलायन करके चले गए है । लोग पुलिस की मौजूदगी में पलायन कर रहे हैं ।




पुलिस की भूमिका


Com. Phool Singh President JSM  Haryana
with IO  DSP Satish Gautam 
उत्पीडित परिवारों ने जांच टीम को बताया कि पुलिस हमला होने के तीन घंटे बाद घटना स्थल पर पंहुची । घटना की सूचना के बावजूद एफआईआर अगले दिन दर्ज की गई । 5 मई दोपहर तक इस मामले में पुलिस द्वारा कोई गिरफ्रतारी नहीं की गई थी  पुलिस दोनों पक्षों के बीच संभावित समझौते की इंतजार करती रही । जब 5 मई की दोपहर को जांच टीम बस्ती का दौरा करने गांव में गई तो डीएसपी श्री सतीश गौतम ने दो आरोपियों की गिरफ्रतारी की सूचना जांच टीम को दी । पुलिस ने ग्राम सरपंच रमेश कुमार के गांव से फरार होने की बात कही है । पीडि़त परिवारों ने बताया कि पुलिस के लोग हमलावर पक्ष के घरों में डेरा डाले हुए हैं । जहां पर उनके खानपान की पूरी व्यवस्था है । महिला बीरमति ने बताया कि ऐसे में हम अपनी कोई शिकायत पुलिस को बताने कैसे जा सकते हैं ? दलित महिलाओं ने बताया कि गांव में पुलिस फोर्स तैनात है परंतू आरोपी गांव में खुलेआम घूम रहे हैं । महिलाओं ने कहा कि पुलिस जिस आरोपी सरपंच को फरार बता रही है, वह गांव में ही है और दलित समाज पर राजीनामा करने का दबाव बना रहा है । महिलाओं ने बताया कि उक्त आरोपी विभिन्न गांवों के राजनीतिक लोगों को राजीनामा करवाने के लिए दलित बस्ती में भेज रहा है । पंचायतों के दौर चल रहे हैं । 
एक दलित युवक सुल्तान, जिसका छोटा भाई सही राम भी मई दिवस वाले हमले में घायल हुआ था, ने जांच टीम को बताया कि हमलावर जाटों ने हमारे ऊपर जान लेवा हमला किया । वे संजीव को मरा हुआ समझकर छोड़कर गए थे । हमारे पशुओं तक पर कहर बरपा किया । पुलिस ने दोषियों के खिलाफ कारवाई 24 घंटे गुजर जाने के बाद की लेकिन पुलिस ने सरपंच पक्ष की झुठी रिर्पोट के आधार पर हमारे खिलाफ ही शिकायत दर्ज कर ली । अब पुलिस हमें सरपंच की फर्जी शिकायत में गिरफ्रतार करने की धमकी दे रही है ।
जब मानवाधिकार टीम ने हमला के दौरान घायलों की संख्या पूछी तो पता चला कि उस हमले में दर्जन से ज्यादा दलित घायल हुए थे । केवल तीन घायलों को पुलिस ने घटना वाले दिन अस्पताल में भर्ती करवाया था । जिनको बाद में नागरिक अस्पताल कैथल में भर्ती करवाया गया । जांच के दौरान भी तीन अन्य घायल व्यक्ति टीम के सामने आए । उन्होने टीम को बताया कि उनको भी हमले में चोटें आई थी, वे डर के कारण मेडीकल करवाने नहीं जा सके । तीनों व्यक्तियों को मुकदमा के जांच-अधिकारी डीएसपी श्री सतीश गौतम ने पुलिस वाहन में मेडीकल करवाने के लिए राजकीय प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र कलायत भेज दिया ।

समझौता करने का दबाव

दलित बस्ती में अपनी पड़ताल पूरी करने के बाद टीम  घायलों का हालचाल जानने के लिए नागरिक अस्पताल कैथल भी गई । वहां पर बालू गांव के ही दलित समाज के 15-20 लोग घायल संजीव व संदीप के पास  पहले से आए हुए थे । एक दलित बुजुर्ग रामभज चौहान ने बताया कि वे घायल संजीव व संदीप से सरपंच के साथ समझौता करने के मामले पर मशविरा करने आए हैं । हमें गांव में बसना है जो कि जाटों के साथ दुश्मनी लगा कर संभव नहीं है । रामभज ने कहा कि यदि हमने समझौता नहीं किया तो बस्ती पर फिर से हमला हो सकता है । सबके चेहरों पर भविष्य को लेकर भय की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी ।

जाचं पड़ताल के निष्कर्स



  1. हमले का षडयंत्र सरपंच रमेश कुमार ने रचा व खुद हमला में शामिल होकर उसने दलित उत्पीड़न की        घटना को अंजाम दिया ।
  2. दलित बस्ती पर योजनाबद्ध हमला किया गया ।
  3. यह हमला दलित समुदाय को भयभीत करने के लिए किया गया है ।
  4.  पुलिस थाना कलायत दलित उत्पीड़न की घटना को रोकने में असफल रही है जबकि पीडि़त पक्ष बार  बार जातिय हमलों की शिकायत कर रहा था । ऐसे में पुलिस के दबंग हमलावरों के साथ मिलीभगत होने से भी  इंकार नहीं किया जा सकता ।
  5. पुलिस जानबूझ कर दोषी सरपंच रमेश कुमार को गिरफ्रतार नहीं कर रही । जांच में सामने आया है कि    सरपंच न केवल खूला घूम रहा बल्कि दलित समाज को डरा धमका कर समझौता करने के लिए दबाव भी बना रहा है ।

एनसीएचआरओ दिल्ली एवं जांच टीम में शामिल स्थानीय कार्यकर्ता हरियाणा सरकार से निम्नलिखित मांग करते हैं-

1- सरपंच रमेेश कुमार, गादड़ा पट्टी बालू सहित मुकदमा के सभी दोषियों को तुरन्त गिरफ्रतार किया जाए ।
2- दलितों को दूध आदि बेचने से मना करने वाले डेरी मालिकों के खिलाफ कानूनी कारवाई की जाए ।
3- दलित बस्ती में  सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करवाई जाए । जाति दगों की रोकथाम की जाए ।
4- सरपंच पक्ष द्वारा दलितों के खिलाफ दी गई फर्जी शिकायत निरस्त की जाए ।
5- जातिय हमले में घायल दलित युवकों का सही ईलाज करवाया जाए । संजीव व मोहन लाल सहित गांव के              सभी आरटीआई कार्यकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए ।
6- हमला में घायलों को उचित मुआवजा दिया जाए ।

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